इस युवक ने तैयार कर लिया खुद का पॉवर प्लांट, स्ट्रीट और मंदिर को दे रहा फ्री बिजली, इंजीनियर भी देखकर हुए हैरान

Published : Mar 22, 2023, 02:34 PM IST
jugaad science Kedar Prasad Mahato of Ramgarh

सार

झारखंड के रामगढ़ जिले के रहने वाले 34 साल के कॉलेज ड्रापआउट यानी पढ़ाई छोड़ चुका शख्स हर दिन 4 घंटे फ्री बिजली पैदा कर रहा है। इसका उपयोग जरूरी कामों में होता है।

रामगढ़. आम आदमी पार्टी(AAP) के मुखिया अरविंद केजरीवाल जिस राज्य में भी इलेक्शन लड़ने जाते हैं, वहां फ्री बिजली का ऐलान कर देते हैं। लेकिन झारखंड के रामगढ़ जिले के रहने वाले 34 साल के कॉलेज ड्रापआउट यानी पढ़ाई छोड़ चुका शख्स हर दिन 4 घंटे फ्री बिजली पैदा कर रहा है। इसका उपयोग जरूरी कामों में होता है।

आमतौर पर पानी स्वयं एनर्जी का सीधा सोर्स नहीं है। इसका उपयोग विभिन्न प्रॉसेस के माध्यम से ऊर्जा पैदा करने के साधन के रूप में किया जा सकता है। एक तरीका इस प्रिंसिपल पर काम करता है कि चलते हुए पानी में काइनेटिक एर्जी होती है, जिसे टर्बाइनों के इस्तेमाल से बिजली पैदा करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह हाइड्रो पॉवर के पीछे का सिद्धांत है, जो बिजली पैदा करने के लिए बहते पानी का उपयोग करता है।

रामगढ़ जिले के दुलमी ब्लॉक के बयांग गांव के एक 34 वर्षीय कॉलेज ड्रॉपआउट ने एक माइक्रो-हाइड्रल पावर प्लांट विकसित किया है। नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) ने इसमें रुचि दिखाई है। पिछले साल केदार प्रसाद महतो ने बांस और अन्य अपरंपरागत सामग्रियों का उपयोग करके प्लांट डेवलप किया था। नाबार्ड सहित कई संगठनों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अपनी जेब से 3 लाख रुपये खर्च किए।

हाल ही में टीओआई की रिपोर्ट में कहा गया कि नाबार्ड के अधिकारियों का एक ग्रुप उस प्लांट को देखने गया, जो गांव की गलियों और मंदिरों में मुफ्त 5KV बिजली का उत्पादन कर रहा है। नाबार्ड के डिप्टी डेवलपमेंट मैनेजर उपेंद्र कुमार ने कहा, "हम इस बात पर रिसर्च कर रहे हैं कि क्या छोटी नदियों में स्थापित ऐसे प्लांट किसानों को खेती के लिए बिजली मुहैया कर सकते हैं?"

यह तय करने से पहले कि क्या यह गांवों में इस तरह की पहल को फाइनेंस कर सकता है, बैंक टेक्निक और फाइनसें दोनों कारकों पर विचार कर रहा है। महतो का सपना अपने गृह गांव बयांग को मुफ्त बिजली देना है, जहां बहुसंख्यक परिवार किसान हैं और मुफ्त बिजली से सिंचाई उनके लिए वरदान साबित हो सकती है।

नाबार्ड के अधिकारियों के अनुसार, पारंपरिक तकनीक का उपयोग करके एक 2MW पनबिजली संयंत्र के निर्माण में 10 करोड़ रुपये खर्च होंगे, लेकिन अगर महतो के मॉडल को 2MW का उत्पादन करने के लिए बढ़ाया जाता है, तो अनुमानित लागत सिर्फ 2 करोड़ रुपये होगी। अधिकारियों के मुताबिक, संयंत्र में 30 से 40 केवी उत्पादन करने की क्षमता है, लेकिन इसका पूरी क्षमता से उपयोग नहीं किया गया है।

संयंत्र का निर्माण बांस की छड़ियों से किया गया था, साथ ही एक कबाड़ जनरेटर और एक घर का बना टरबाइन भी इस्तेमल किया गया। महतो जिन्होंने कभी साइंस की पढ़ाई नहीं की, कहते हैं कि संयंत्र को संचालित करने के लिए कुछ भी खर्च नहीं होता है और हर दिन लगभग चार घंटे चलता है।

क्रेडिट-The Better India

यह भी पढ़ें

62 साल के कुली ने आधी रात वो किया कि अमिताभ बच्चन के मेकअप आर्टिस्ट दीपक सावंत को 1983 की 'कुली' याद आ गई

पापा की 'परी' के मोबाइल में 'पपाया' नाम से किसका नंबर सेवा था? गजब है 6-7 साल से केवल इंटरनेट कॉल पर बात करते थे पिता-बेटी

 

PREV

झारखंड की सरकार, खनन-उद्योग, आदिवासी क्षेत्रों की खबरें, रोजगार-विकास परियोजनाएं और सुरक्षा अपडेट्स पढ़ें। रांची, जमशेदपुर, धनबाद और ग्रामीण इलाकों की ताज़ा जानकारी के लिए Jharkhand News in Hindi सेक्शन फॉलो करें — विश्वसनीय स्थानीय रिपोर्टिंग सिर्फ Asianet News Hindi पर।

Recommended Stories

झारखंड: गैस लीक से 2 महिलाओं की मौत, लोगों ने किया धनबाद-रांची रोड जाम
कांग्रेस के हाथ से जाएगा एक और राज्य? NDA में शामिल होंगे झारखंड CM?