
Jharkhand News: झारखंड में शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। राज्य भर में 1700 से अधिक पारा शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी गई है। इसके पीछे वजह उनकी 20 साल पुरानी डिग्री है। शिक्षकों की नियुक्ति मैट्रिक स्तर के आधार पर की गई थी। अब उनकी इंटरमीडिएट की डिग्री की जांच की जा रही है। शिक्षा विभाग की इस कार्रवाई से शिक्षक समुदाय में काफी गुस्सा है।
आपको बता दें कि झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (जेईपीसी) ने जिला शिक्षा अधीक्षकों (डीईओ) को 1700 पारा शिक्षकों को नौकरी से हटाने का निर्देश दिया था। वहीं, जेईपीसी की इस कार्रवाई पर भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने झारखंड सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने 2 जून को सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट किया।
भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि झारखंड सरकार का 1700 से अधिक सहायक शिक्षकों को नौकरी से हटाने का निर्देश बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। ये शिक्षक पिछले 15 से 20 वर्षों से लगातार अपनी सेवाएं दे रहे हैं और सुदूर क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहे हैं। इन शिक्षकों को हटाने से न केवल इनका भविष्य खतरे में पड़ेगा, बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा। सीएम हेमंत सोरेन को टैग करते हुए बाबूलाल मरांडी ने आगे लिखा कि शिक्षकों के अनुभव और सेवा का सम्मान किया जाना चाहिए। अगर जरूरी हो तो उनके लिए विशेष मूल्यांकन प्रक्रिया या वैकल्पिक उपाय अपनाए जाने चाहिए, ताकि उनकी नौकरी भी सुरक्षित रहे और शिक्षा व्यवस्था भी प्रभावित न हो।
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