पूर्व सांसद सलखान मुर्मू बोले-राम मंदिर से कम नहीं हमारे लिए पारसनाथ पहाड़, आदिवासियों को सौंपे नहीं तो ध्वस्त कर देंगे जैन मंदिर

Published : Feb 09, 2023, 05:08 PM ISTUpdated : Feb 09, 2023, 05:10 PM IST
 Former MP Salkhan Murmu

सार

आदिवासी सेंगल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद सलखान मुर्मू ने कहा है कि पारसनाथ पहाड़ हमारे लिए राम मंदिर से कम नहीं है। जल्द समाधान की पहल नहीं, तो आदिवासी बाबरी मस्जिद की तरह जैन मंदिर को भी ध्वस्त करने को विवश होंगे।

रांची। आदिवासी सेंगल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद सलखान मुर्मू ने मरांग बुरु यानी पारसनाथ पहाड़ को लेकर गुरुवार को बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि पारसनाथ पहाड़ हमारे लिए राम मंदिर से कम नहीं है। मरांग बुरु आंदोलन भी आक्रामक रूप ले सकता है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, केंद्र और राज्य सरकार जल्द समाधान की पहल करें, यदि ऐसा नहीं होता है तो आदिवासी बाबरी मस्जिद की तरह जैन मंदिर को भी ध्वस्त करने को विवश होंगे।

हेमंत सोरेन सरकार पर लगाए ये आरोप

राजधानी के मोरहाबादी स्थित बापू वाटिका पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि पारसनाथ पहाड़ पर आदिवासियों का पहला अधिकार है। इसे जैन समाज से मुक्त किया जाए और आदिवासियों को सौंपा जाए। हेमंत सोरेन सरकार पर मराग बुरु को जैन समाज के हाथ बेचने का आरोप लगाते हुए मुर्मू ने कहा कि उन पर हमारी धार्मिक आस्था है। उस विश्वास पर चोट किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

11 फरवरी को पांच राज्यों में करेंगे चक्‍का जाम

इस सिलसिले में सेंगल अभियान ने विरोध प्रदर्शन की भी योजना बनायी है। सेंगल अभियान द्वारा झारखंड, पश्चिमी बंगाल सहित पांच प्रदेशों में 11 फरवरी को अनिश्चितकालीन रेल-रोड चक्का जाम किया जाएगा। उनका कहना है कि यदि उसके बाद भी उनकी मांगे नहीं मानी गयी तो 11 अप्रैल से सड़कों पर चक्का जाम किया जाएगा, साथ ही अनिश्चितकालीन रेल पटरियों पर भी चक्का जाम किया जाएगा।

ये भी की मांग

नियोजन नीति पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि झारखंड में किसी सरकार ने भी आदिवासियों के हित में काम नहीं किया। सरकारी और गैर सरकारी नौकरियों का 90 फीसदी ग्रामीण क्षेत्रों को आवंटित किया जाए। आबादी के अनुपात से प्रखंड वार कोटा तय हो। उसके बाद प्रखंड विशेष कोटा, उसी प्रखंड के आवेदकों से भरा जाए। जिसमें खातियान की आवश्यकता नहीं होगी। प्रखंड की जातियों की आबादी के अनुपात में प्रखंड कोटा भरा जाए।

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