झारखंड के रोला गांव की रहने वाली सुषमा के पिता राजेन्द्र महतो ट्रक ड्राइवर हैं और मॉं उर्मिला खेती-बाड़ी से जुड़े काम करती हैं। सुषमा बहुत छोटी उम्र से ही माडल बनना चाहती थीं। अपने सपने को पूरा करने के लिए संघर्ष करती रहीं।
रांची। झारखंड के रोला गांव की रहने वाली सुषमा के पिता राजेन्द्र महतो ट्रक ड्राइवर हैं और मॉं उर्मिला खेती बाड़ी से जुड़े काम करती हैं। सुषमा बहुत छोटी उम्र से ही माडल बनना चाहती थीं। सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाली सुषमा अपने सपने को पूरा करने के लिए संघर्ष करती रहीं। 'अर्जुन' की तरह उनका फोकस भी अपने लक्ष्य पर था। अब उन्हें बड़ी सफलता मिली है। उन्हें छत्तीसगढ़ में आयोजित शो में 'मिस आइकॉन ऑफ इंडिया' का खिताब हासिल हुआ है।
मॉस कम्यूनिकेशन की पढ़ाई कर रही हैं सुषमा
मीडिया रिपार्ट्स के अनुसार, छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में आयोजित शो में कुल 30 युवतियों ने भाग लिया था। शो में सुषमा ने 'मिस आइकॉन ऑफ इंडिया' का खिताब जीता। सुषमा ने कस्तूरबा बालिका आवासीय विद्यालय ओरमांझी से 10वीं और आरटीसी इंटर कॉलेज से 12वीं तक की पढाई की है। वर्तमान में सुषमा रांची यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रही हैं।
छोटी उम्र से ही बनना चाहती थीं मॉडल
सुषमा बताती हैं कि लोगों को कहते सुना है कि सरकारी स्कूलों के बच्चे फैशन के क्षेत्र में नहीं जा सकते हैं। ग्लैमर की दुनिया का चुनाव मैंने उन्हें जवाब देने के लिए चुना। वह जब चौथी कक्षा में थीं, तभी से मॉडल बनना चाहती थीं।
जो कपड़े थे, उन्हीं का करती रहीं इस्तेमाल
उनके पास जो कपड़े थे, वह उन्हीं कपड़ों को इस्तेमाल करने लगीं। लोगों की सराहना के बाद वह इवेंट में एंकरिंग की भूमिका निभाने लगीं। उसकी वजह से उनका आत्मविश्वास बढ़ा। भविष्य में वह बड़ी मॉडल व एंकर बनना चाहती हैं।
गाउन किराए पर लेकर फिनाले में गईं
वह बताती हैं कि प्रतियोगिता के फिनाले में ड्रेस के तौर पर गाउन पहनना था। उनके पापा ने इसके लिए 3500 रुपये दिए थे। पर गाउन की कीमत महंगी होती है, अच्छा गाउन 15 से 20 हजार रुपये में मिलता है तो उन्होंने किराए पर गाउन लिया और उसका इस्तेमाल किया।
बेटियों को दिया बेटों जैसा मौका
सुषमा की मां उर्मिला देवी का कहना है कि उन्होंने अपनी बेटियों को बेटों की तरह मौका दिया। बड़ी बेटी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती है। सुषमा के पिता ट्रक ड्राइवर हैं। इसकी वजह से उनका ज्यादातर समय घर से बाहर ही बीतता है।