कंदमूल-मिटटी खाकर लड़ रहे जीवन की जंग, शरीर में बचा सिर्फ अस्थि-पंजर का ढांचा

सबर दंपत्ति कई दिनों से अपना भोजन तक नहीं जुटा पा रहा है। मजबूरन, प्राण रक्षा के लिए जंगली कंदमूल व मिटटी खाकर गुजारा कर रहे थे। दंपत्ति पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया प्रखंड के दंपाबेड़ा गांव स्थित पहाड़ पर रहते हैं।

Contributor Asianet | Published : Feb 7, 2023 6:42 AM IST

सिंहभूम। आदिम जनजाति के सबर दंपत्ति दाने-दाने को मोहताज हैं। बीमार पति और पत्नी चलने में भी असमर्थ हैं। कई दिनों से यह दंपत्ति अपना भोजन तक नहीं जुटा पा रहा है। मजबूरन, प्राण रक्षा के लिए जंगली कंदमूल व मिटटी खाकर गुजारा कर रहे थे। दंपत्ति पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया प्रखंड के दंपाबेड़ा गांव स्थित पहाड़ पर रहते हैं। जब पंचायत की मुखिया उनसे मिलने पहुंची तो उनकी हालत देखकर मुखिया के रोंगटे खड़े हो गए।

पंचायत की मुखिया ने देखा तो खड़े हो गए रोंगटे

पंचायत की मुखिया फूलमुनि मुर्मू जब दंपत्ति का हाल चाल लेने दंपाबेड़ा पहुंचीं तो उनकी हालत देखकर वह दंग रह गईं। टुना सबर की शारीरिक हालत देखकर वह हैरान हो गईं। टुना के शरीर पर चमड़ा छूट चुका है, शरीर में सिर्फ अस्थि पंजर का ढांचा शेष दिख रहा है। कई दिनों से भूखे रहने की वजह से उनके पेट-पीठ सट गए हैं। टुना की पत्नी सुमा ने उन्हें बताया कि वह लोग कई दिनों से अपने लिए भोजन नहीं जुटा सके हैं। भूख लगने पर जंगली कंदमूल व मिटटी खाकर पानी पीते हैं।

चीफ सेक्रेटरी ने दिए मदद के निर्देश

कई दिनों से भूख से बेहाल दंपत्ति के हालत को लेकर एक स्थानीय नेता ने टिवट किया। तब, चीफ सेक्रेटरी ने इस घटना का संज्ञान लिया और अधिकारियों को सबर दंपत्ति की मदद करने के निर्देश दिए। उसके बाद डीसीएलआर रवींद्र गागराई की अगुवाई में मेडिकल टीम और प्रशासन के अधिकारी गांव पहुंचे। डीसी विजया जाधव का कहना है कि टुना सबर के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए डाक्टरों की एक टीम गांव भेजी गयी है। जांच में सामने आया है कि टुना चर्म रोग से ग्रस्त है। उन्हें इलाज के लिए डुमरिया सीएचसी लाया गया और प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें जमशेदपुर के सदर अस्पताल रेफर किया गया।

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