
भोपाल (मध्य प्रदेश). भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए झटका देने खबर सामने आई है। पीड़ितों के लिए और ज्यादा मुआवजे की मांग करने वाली केंद्र की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। बता दें कि केंद्र सरकार ने क्यूरेटिव पिटीशन के जरिए भोपाल गैस कांड में दर्द झेल चुके लोगों के लिए यूनियन कार्बाइड से करीब 7,800 करोड़ का अतिरिक्त मुआवजा दिलाने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने रिजेक्ट के साथ याचिका लगाने पर लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने ने सिर्फ केंद्र की याचिका खारिज की है। बल्कि गैस त्रासदी पीड़ितों के मुआवजे में लापरवाही बरतने पर जमकर फटकार भी लगाई है। कोर्ट ने कहा-डाऊ कैमिकल्स के साथ समझौता फिर से नहीं खुलेगा। कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच ने कहा कि अगर भोपाल गैस कांड की फाइल दोबारा खुलेगी तो इससे पीड़ितों की परेशानी तो कम नहीं होगी, बल्कि मुश्किलें बढ़ेंगी। कोर्ट ने कहा कि लंबित दावों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा RBI के पास पड़े 50 करोड़ रुपए की राशि का उपयोग किया जाएगा।
7,844 करोड़ रुपए के लिए दिसंबर 2010 में दायर की थी याचिका
बता दें कि गैस त्रासदी के बाद अमेरिका की कंपनी यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने पीड़ितों के लिए 470 मिलियन डॉलर का मुआवजा दिया था। लेकिन यह मुआवजा पीड़ितों के लिए कम लगा तो उन्होंने सरकार के साथ और ज्यादा मुआवजा की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके लिए केंद्र सरकार ने कंपनी से 7,844 करोड़ रुपए के अतिरिक्त मुआवजा के लिए दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी। जिसको लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए याचिका को रिजेक्ट कर दिया।
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल, यह पूरा भयावह मंजर 2-3 दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात का है। जहां भोपाल स्टेशन के करीब बने यूनियन कार्बाइड कारखाने से खतरनाक गैस मिथाइल आइसोसायनाइड रसायन का रिसाब हुआ। पहले तो धीमे-धीमे रिसाव हुआ फिर बाद में धमाके के साथ टैंक का सेफ्टी वॉल्व उड़ गया। जिससे करीब 42 टन जहरीली गैस का रिसाव हुआ। इस दौरान पूरे भोपाल में रहने वाले लोगों को आंखों में इससे जलन होने लगी और बेसुध होकर जमीन गिरने लगे। रिकॉर्ड के मुताबिक, 3 से 5 हजार लोगों की जान चली गई। वहीं करीब एक लाख से ज्यादा लोग जिंदगी भर बीमारियों से जूझने को मजबूर हो गए। यह मामला पूरी दुनिया में आ गया, फिर अमेरिकी कंपनी ने मामले को निपटाने के लिए 1989 में 715 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया था।
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