MP में BBA-BCA एडमिशन महंगा? 150 से सीधा 1530 रुपए तक पहुंची फीस!

Published : Jun 29, 2025, 02:44 PM IST
 bba bca admission fee hike online counselling issues

सार

Madhya Pradesh BBA BCA admission: तकनीकी शिक्षा विभाग की बीबीए-बीसीए ऑनलाइन काउंसलिंग प्रक्रिया में गड़बड़ी। कॉलेज, सीट और फीस की जानकारी न होने से छात्र परेशान। पहले ₹150 लगते थे, अब ₹1530 फीस।

BBA online counseling fee hike: तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा बीबीए और बीसीए पाठ्यक्रमों में पहली बार शुरू की गई ऑनलाइन काउंसलिंग प्रक्रिया अब सवालों के घेरे में आ गई है। विद्यार्थियों के लिए शुरू में ही यह प्रक्रिया उलझन भरी बन गई है, क्योंकि न तो पोर्टल पर कॉलेजवार सीटों का विवरण उपलब्ध कराया गया है और न ही फीस स्ट्रक्चर की जानकारी दी गई है। इससे हजारों छात्रों को काउंसलिंग के पहले ही चरण में भ्रम और असमंजस का सामना करना पड़ रहा है।

फीस का बोझ: इस बार 15 गुना ज्यादा देना पड़ रहा शुल्क

विद्यार्थियों से इस बार चॉइस फिलिंग के पहले ही 1530 रुपए शुल्क वसूला जा रहा है, जिसमें शामिल हैं:

  • ₹400 – काउंसलिंग फीस
  • ₹1000 – आंशिक शिक्षण शुल्क (कॉलेज में समायोजित होगा)
  • ₹130 – एमपी ऑनलाइन शुल्क

जबकि पिछले वर्षों में बीबीए और बीसीए की काउंसलिंग में केवल ₹150 रजिस्ट्रेशन फीस ली जाती थी। खास बात यह है कि अन्य यूजी पाठ्यक्रमों के लिए आज भी सिर्फ ₹100 शुल्क लिया जा रहा है, जिससे यह अंतर और भी बड़ा हो जाता है।छात्राओं को पहले चरण में फीस से राहत दी गई है, लेकिन दूसरे चरण में उन्हें भी फीस देना होगी।

सीटें और फीस: सबसे ज़रूरी जानकारी ही नहीं दी गई

जिले के करीब 40 कॉलेजों में बीबीए और बीसीए की 20,000 से अधिक सीटें हैं, लेकिन न तो डीटीई पोर्टल पर कॉलेजवार सीटों की जानकारी उपलब्ध है और न ही एडमिशन एंड फी रेगुलेटरी कमेटी (AFRC) की वेबसाइट पर फीस स्ट्रक्चर डाला गया है।

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इससे सबसे ज्यादा परेशानी चॉइस फिलिंग के समय हो रही है, जहां छात्रों को 25 कॉलेज भरने पड़ते हैं। कई मामलों में वह स्पेशलाइजेशन ही कॉलेज में उपलब्ध नहीं है, जिसके लिए छात्र आवेदन करना चाहते हैं। मजबूरी में छात्रों को दूसरे जिलों के कॉलेज चुनने पड़ रहे हैं।

आधे अधूरे सत्यापन से फंसी प्रक्रिया

तकनीकी शिक्षा विभाग (DTE) के पास जिन कॉलेजों ने काउंसलिंग में शामिल होने के लिए आवेदन किया है, उनके दस्तावेजों का सत्यापन अब तक अधूरा है। कुछ कॉलेजों को AICTE से मंजूरी तो मिल गई है, लेकिन विश्वविद्यालय स्तर पर स्वीकृति लंबित है, जैसे DAVV में। इससे छात्र तय नहीं कर पा रहे हैं कि किस कॉलेज को चॉइस फिलिंग में शामिल करें और किसे नहीं।

विशेषज्ञों की राय: चॉइस फिलिंग में बदलाव ज़रूरी

एक निजी चैनल द्वारा प्रकाशित खबर के अनुसार, शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. अनस इकबाल ने कहा कि इस बार विद्यार्थियों को काउंसलिंग में काफी दिक्कत हो रही है। “25 कॉलेजों का चयन करना कई छात्रों के लिए मुश्किल है, खासकर जब जरूरी जानकारी ही नहीं दी गई हो। डीटीई को चाहिए कि वह प्रक्रिया को और पारदर्शी व सरल बनाए।”

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