मोबाइल की लत से बच्चों में नई बीमारी, माता-पिता परेशान, डॉक्टर के पास नहीं इलाज

मोबाइल की लत से बच्चों में कई प्रकार की बीमारियां देखने को मिल रही है। जिससे माता-पिता परेशान हो चुके हैं। इसका डॉक्टर के पास भी कोई इलाज नहीं है। ऐसे में एमपी की राजधानी भोपाल में रोज कई केस मोबाइल एडिक्शन के सामने आ रहे हैं।

subodh kumar | Published : Aug 23, 2024 4:09 AM IST / Updated: Aug 23 2024, 09:54 AM IST

भोपाल. मध्यप्रदेश के भोपाल स्थित एम्स हॉस्पिटल में इलाज कराने आ रहे बच्चों में एक नई बीमारी देखने को मिल रही है। हैरानी की बात तो यह है कि ये बीमारी किसी वायरस या किसी अन्य कारण से नहीं बल्कि खुद माता-पिता की लापरवाही से फैल रही है। ये हम नहीं कह रहे हैं। ये हकीकत तो खुद हालात बयां कर रहे हैं। जिसे डॉक्टरों ने फोन एडिक्शन का नाम दिया है। जिसकी शुरुआत बच्चों के खाना खाने के साथ शुरू हो जाती है। क्योंकि उनके मुंह में पहला निवाला ही तब जाता है। जब उनके सामने मोबाइल फोन होता है।

बच्चों को खुद माता-पिता दे रहे मोबाइल

Latest Videos

आजकल माता-पिता खुद अपने के बच्चों के हाथ में मोबाइल थमा रहे है। ताकि वह मोबाइल देखते-देखते खाना खा लें, स्कूल के लिए तैयार हो जाए। अगर उन्हें कुछ काम है, वे चाहते हैं कि बच्चा मस्ती नहीं करे, तो भी उसे मोबाइल पकड़ा देते हैं। ताकि बच्चा चुप रहे और वे अपना काम निपटा लें। बस यही से बच्चों में मोबाइल की लत लगने की शुरुआत हो जाती है। जिसमें बच्चे कुछ ही दिनों में मोबाइल के इतने आदी हो जाते हैं कि वे पढ़ाई भी इसी शर्त पर करते हैं कि पहले आधा या एक घंटा मोबाइल देना होगा। वे कोचिंग या स्कूल भी तभी जाते हैं। जब उन्हें मनपसंद गेम मोबाइल पर खेलने मिलता है। हालात यह हो गए हैं कि छोटे-छोटे बच्चे अपना अधिकतर समय मोबाइल में लगे रहते हैं। फिर वह मोबाइल पापा का हो या मम्मी का उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है।

एम्स भोपाल में इलाज के लिए पहुंचे 2000 बच्चे

मोबाइल एडिक्शन की बीमारी से पी​ड़ित करीब 2000 बच्चे अब तक भोपाल में स्थित एम्स में इलाज कराने पहुंच चुके हैं। ये तो सिर्फ एक अस्पताल के आंकड़े हैं। प्रदेश में ऐसे सैंकड़ों अस्पताल और डॉक्टर हैं, जिनके पास इस प्रकार की समस्या लेकर पैरेंट्स पहुंच रहे हैं। क्योंकि जिस बच्चे को वो शुरुआत में अपना काम निकालने के लिए मोबाइल फोन पकड़ा देते हैं। वही बच्चा मोबाइल का इतना आदी हो जाता है कि वह बगैर मोबाइल के न तो खाना खाता है, न पढ़ाई करता है और न ही अन्य कोई काम करता है। इसके साथ ही उसमें चिड़चिड़ापन, आंखों की रोशनी कम होना, आंखों के आसपास काले घेरे हो जाना, नींद पूरी नहीं होना, पढ़ाई में मन नहीं लगना आदि समस्याएं होती है। हैरानी की बात तो यह है कि बच्चे होमवर्क तक मोबाइल के चक्कर में छोड़ देते हैं। क्योंकि उन्हें मोबाइल में ही अपना संसार नजर आता है।

4 से 8 घंटे तक मोबाइल देख रहे बच्चे

जिन बच्चों में इस प्रकार की बीमारियां सामने आ रही है। उनकी उम्र महज 2 से 10 साल के बीच है। ये एक दिन में अलग-अलग टाइम पर 4 से 8 घंटे का समय मोबाइल में ही बीता रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि वे फिजिकल एक्टिविटी या मैदानी गेम खेलने की जगह भी मोबाइल में गेम खेलना या रील देखना अधिक पसंद कर रहे हैं। पहले तो बच्चे मोबाइल में सिर्फ गेम ही खेलते थे, लेकिन अब वे रील भी देखने लगे हैं। जिसकी वजह से माता-पिता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

इन बातों का रखें शुरू से ध्यान

अगर आप भी अपने बच्चों को मोबाइल से होने वाली समस्याओं से बचाना चाहते हैं। तो आज से ही कुछ बातों पर ध्यान दें।

यह भी पढ़ें : 40 मिनट में पूरा हुआ 4 घंटे का सफर, एमपी में शुरू हुई ऐसी सुविधा

Share this article
click me!

Latest Videos

PM Modi LIVE: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में जनसभा को संबोधित किया
चंद्रयान-मंगलयान के बाद अंतरिक्ष में भारत की नई उड़ान, जानें अगला मिशन । Venus Orbiter Mission
Yogi Adityanath: सपा आज बन चुकी है दरिंदों की गैंग #Shorts
राहुल गांधी के खिलाफ बोलकर फंसे कई दिग्गज, कांग्रेस ने बढ़ा दी मुश्किलें । Rahul Gandhi । Congress
OMG! यहां बीवियां हो जाती हैं चोरी, जानें कहां चल रहा ऐसा 'कांड'