
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि पिछले दो वर्षों में प्रदेश में 7.31 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में नई सिंचाई क्षमता विकसित की गई है। वर्ष 2026 तक इस क्षमता को बढ़ाकर 8.44 लाख हेक्टेयर तक ले जाने का लक्ष्य है। सरकार का उद्देश्य सिंचाई क्षेत्र को 100 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाना है। इसके लिए प्रधानमंत्री गतिशक्ति पोर्टल का उपयोग कर परियोजनाओं की नियमित समीक्षा की जाएगी।
सीएम ने जल संसाधन विभाग और नर्मदा घाटी विकास विभाग की समीक्षा बैठक में निर्देश दिए कि राज्य में नदियों को जोड़ने की योजनाओं को तेज किया जाए। उन्होंने कहा कि पार्वती-काली-सिंध, चंबल और केन-बेतवा अंतर्राज्यीय लिंक परियोजनाओं की स्वीकृति राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि है।
बैठक में बताया गया कि राज्य में नदी जोड़ो योजना के तहत कई जिलों में सर्वेक्षण किया गया है।
इन सभी योजनाओं के लागू होने से करीब 5.97 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा बढ़ेगी। इनकी कुल अनुमानित लागत 9870 करोड़ रुपये है और सात जिलों के हजारों किसान लाभान्वित होंगे।
राज्य में बाढ़ नियंत्रण, जल संरक्षण और नदी कछारों में पानी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए 13 नवंबर 2024 को एक तकनीकी दल बनाया गया है। यह दल नदियों को जोड़ने और जल प्रबंधन की रणनीति तैयार करेगा।
सीएम ने निर्देश दिए कि भोपाल की झील की प्राचीन जल संग्रहण तकनीक का अध्ययन कर उसी मॉडल पर कम लागत में सुरक्षित जलाशय और बांध बनाने की योजना तैयार की जाए। उन्होंने इन मॉडलों का डेमो भी प्रस्तुत करने को कहा।
समीक्षा बैठक में कई बड़ी परियोजनाओं की स्थिति बताई गई-
लागत: 614.53 करोड़ रु., प्रगति: 48%
लागत: 919.94 करोड़ रु., प्रगति: 42%
लागत: 778.91 करोड़ रु.
बैठक में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, मुख्य सचिव अनुराग जैन और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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