
CM cleans Kshipra river: कभी-कभी किसी राज्य के मुखिया का सिर्फ भाषण देना ही नहीं, बल्कि खुद मैदान में उतरना भी इतिहास बन जाता है। ऐसा ही नज़ारा शुक्रवार को उज्जैन के रामघाट पर देखने को मिला, जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खुद क्षिप्रा नदी में उतरकर घाट की सफाई की और मां क्षिप्रा के पावन जल में स्नान कर आशीर्वाद लिया। यह केवल एक सफाई अभियान नहीं था, बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत थी।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि “जल गंगा संवर्धन अभियान हमारे प्रदेश के पुराने ऐतिहासिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने का विशेष प्रयास है। इसमें नदियों को फिर से प्रवहमान बनाने का कार्य किया जा रहा है।” मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि भोपाल के पास बेतवा नदी के उद्गम स्थल को पुनर्जीवित कर दिया गया है, और यही कार्य अब अन्य नदियों, बावड़ियों, तालाबों और कुंओं पर भी किया जा रहा है।
डॉ. यादव ने कहा कि“हमारे मध्यप्रदेश की मां नर्मदा ऐसी नदी हैं, जिनकी परिक्रमा होती है। सरकार नर्मदा परिक्रमा पथ को सुव्यवस्थित कर रही है। इसी तरह मां क्षिप्रा के घाटों का 29 किमी विस्तार किया जा रहा है।”
उज्जैन में क्षिप्रा को प्रवाहमान बनाए रखने के लिए
इसका 50% कार्य पूरा हो चुका है और अगले दो वर्षों में क्षिप्रा फिर कल-कल बहती नज़र आएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उज्जैन केवल धार्मिक नगरी नहीं, बल्कि “अकबर, शाहजहाँ, जहाँगीर जैसे मुग़ल शासकों ने भी यहां प्रवास किया और काल गणना का ज्ञान लिया। उज्जैन वैज्ञानिक सोच और अध्यात्म का संगम है।” उन्होंने राजा भृतहरि, सम्राट विक्रमादित्य, सम्राट अशोक और श्रीमंत महाद जी सिंधिया के योगदान को याद किया और कहा कि
इस कार्यक्रम के दौरान सलामतपुर से आए पंचकोशी यात्रियों का स्वागत और सम्मान किया गया। मुख्यमंत्री ने यात्रा का शुभारंभ कराया और साथ ही नगर निगम के स्वच्छता मित्रों को सम्मानित कर उनका मनोबल भी बढ़ाया।
इस आयोजन में कई वरिष्ठ जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें शामिल थे:
मुख्यमंत्री ने महाकाल थाना को ISO प्रमाणपत्र मिलने पर बधाई भी दी।
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