मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में 9 मई को यात्रियों से भरी एक तेज रफ्तार निजी बस के एक पुल की रेलिंग तोड़कर सूखी नदी में गिर जाने की घटना को लेकर कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं। इस हादसे में 24 लोगों की मौत हो गई और 40 से अधिक अन्य घायल हो गए।
खरगोन/भोपाल. मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में मंगलवार सुबह(9 मई) यात्रियों से भरी एक तेज रफ्तार निजी बस के एक पुल की रेलिंग तोड़कर सूखी नदी में गिर जाने की घटना को लेकर कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं। इस सबके बीच स्थानीय लोगों ने जिस मानवीयता का परिचय दिया, उसकी काफी तारीफ की जा रही है। इस हादसे में 24 लोगों की मौत हो गई और 40 से अधिक अन्य घायल हो गए। जिले के प्रभारी मंत्री कमल पटेल ने बताया कि घायलों का खरगोन और इंदौर के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
बस हादसे की वजह क्षमता से अधिक सवारियां और तेज गति से बेतहाशा दौड़ाना माना जा रहा है। यह निजी बस मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के डोंगरगांव गांव से करीब 100 किलोमीटर दूर अपने गंतव्य इंदौर के लिए मंगलवार सुबह रवाना हुई थी। कुछ दूर जाने के बाद तेज रफ्तार बस एक पुल की रेलिंग तोड़कर सीधे सूखी नदी में जा गिरी थी, जिसमें 24 यात्रियों की मौत हो गई और 41 अन्य घायल हो गए।
चश्मदीदों और कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि तेज गति और ओवरलोडिंग के कारण यह हादसा हुआ। पटेल खरगोन के प्रभारी मंत्री भी हैं। अधिकारियों ने कहा कि बस सुबह करीब 8.40 बजे दसंगा पुल की रेलिंग तोड़कर डोंगरगांव के पास बोराड नदी के सूखे तल में गिर गई थी।
मंत्री ने बताया था, "मैंने घायल यात्रियों से बात की, जिन्होंने कहा कि बस तेज गति से चल रही थी। दूसरी बात यह है कि जिस बस में केवल 37 लोगों के बैठने की क्षमता थी, उसमें 67 से अधिक यात्री यात्रा कर रहे थे। यह ड्राइवर और आरटीओ अधिकारियों की लापरवाही को दर्शाता है। मरने वालों में ड्राइवर भी था।"
हादसे की खबर मिलने के बाद हेलीकॉप्टर से खरगोन पहुंचे पटेल ने कहा कि ग्रामीण तुरंत मौके पर पहुंचे और बचाव अभियान शुरू किया। मंत्री ने कहा कि ऐसे ग्रामीणों को उनके बहादुरी और मानवीय कार्य के लिए राज्य सरकार द्वारा सम्मानित किया जाएगा। जिला कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा ने कहा कि दुर्घटना के सही कारण का पता सबडिवीजल मजिस्ट्रेट(SDM) द्वारा की जा रही जांच के बाद ही चलेगा।
मंत्री कमल पटेल ने कहा कि खरगोन जिले के सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (एआरटीओ) को यह पता चलने के बाद निलंबित कर दिया गया था कि दुर्घटना के समय बस में क्षमता से अधिक क्षमता थी और गति तेज थी।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बस के पुल से नीचे गिर जाने के बाद कुछ ग्रामीण मौके पर पहुंचे और फंसे हुए यात्रियों को वाहन की खिड़कियों और पीछे की तरफ से बाहर निकाला। उन्होंने बताया कि गर्म मौसम के बीच स्थानीय लोगों को लोगों को ले जाते और यात्रियों को पानी पिलाते देखा गया।
पास के एक गांव के निवासी गिरधारी मंडलोई ने कहा कि दुर्घटना के 2 से 3 मिनट के भीतर वह घटनास्थल पर पहुंच गए थे। उन्होंने कहा कि जब वह घटनास्थल पर पहुंचे तो यात्री मदद के लिए चिल्ला रहे थे, उन्होंने कहा कि 15 से 20 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।
मंडलोई के मुताबिक मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि बस की गति तेज थी। हादसे में जीवित बचे एक महिला ने कहा कि उसके परिवार के 13 सदस्य वाहन में यात्रा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बस अचानक पलट गई और पुल से नीचे गिर गई।
हादसे के कई वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए हैं, जिसमें लोगों को बस में फंसे यात्रियों को बाहर निकालते देखा जा सकता है, जिसका आगे का हिस्सा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था।
हादसे में अपनी इकलौती बहन खो चुकी रुकमणि बाई ने कहा कि उनकी छोटी बहन मिलने आई थी। वो वापस घर लौट रही थी। कुछ देर बाद बेटे ने बताया कि बस का एक्सीडेंट हो गया है। वो दोनों बेटों को लेकर घटनास्थल की तरफ भागीं। एक घंटे बाद उसे एम्बुलेंस से अस्पताल लाया गया। हालांकि वो बच नहीं सकी।
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