इंदौर बावड़ी त्रासदी: घायल महिला को ऊपर खींचा जा रहा था और रस्सी टूट गई, भयानक चीखों के साथ वो गिरकर मर गई

रामनवमी पर इंदौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर की बावड़ी पर रखे पत्थर टूटने से हुए भीषण हादसे ने सबको हिलाकर रख दिया है। घोर लापरवाही से हुए इस भीषणतम हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई। यह त्रासदी शहर के इतिहास में सबसे भीषण है।

Amitabh Budholiya | Published : Apr 1, 2023 1:38 AM IST / Updated: Apr 01 2023, 01:37 PM IST

इंदौर. रामनवमी पर इंदौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर की बावड़ी पर रखे पत्थर टूटने से हुए भीषण हादसे ने सबको हिलाकर रख दिया है। घोर लापरवाही से हुए इस भीषणतम हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई। मंदिर के आसपास रहने वालों के अनुसार, महिलाओं और बच्चों सहित कइयों की जान लेने वासली यह त्रासदी शहर के इतिहास में सबसे भीषण है।

स्थानीय लोगों के अनुसार,  24 घंटे बावड़ी से शव निकलते रहे। पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर के अनुसार ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव के मुरलीकुमार सोमनानी के खिलाफ भादवि की धारा 304ए के तहत केस दर्ज किया है। इस बीच शिवराज सिंह चौहान घायलों का हाल जानने एप्पल अस्पताल पहुंचे। उन्हें यहां लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा।

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पटेल नगर के निवासी अभी भी उस क्षण की स्मृति को मिटा नहीं पाए हैं जब बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में बावड़ी के ऊपर बनी पटिया इस तरह से ढह गई कि अधिकांश लोगों को खुद को बचाने का मौका ही नहीं मिला।

अनिल भटेवरा (65) ने बताया, ''दुर्घटना गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे हुई। कुछ महिलाएं सदमे में मेरे पास आईं और मुझे बताया कि बावड़ी में कई लोग गिर गए हैं। मैं मंदिर के करीब रहता हूं, लेकिन उसमें इतनी गाद थी कि हमें उसमें लोगों के गिरने की कोई आवाज नहीं सुनाई दी। हम तुरंत मंदिर पहुंचे और बावड़ी से 17-18 लोगों को बाहर निकाला।"

1972 में बावड़ी पूरी तरह से खुली हुई थी, भटेवारा ने अपने किशोरावस्था के दिनों को याद करते हुए कहा जब वह इसमें नहाया करते थे।

उन्होंने कहा, 'लेकिन 1983 के आसपास इस बावड़ी को ढक दिया गया था। हमने इस बावड़ी को ढकने के खिलाफ आठ से दस बार प्रशासन से शिकायत की। एक बार अनुमंडल पदाधिकारी भी बुलडोजर लेकर आए, लेकिन वह लौट गए। हम नहीं जानते कि त्रासदी होने तक इस बावड़ी को अतिक्रमण से मुक्त क्यों नहीं किया जा सका।” 

भटेवरा ने कहा कि त्रासदी के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा दुख इस बात का है कि उन्होंने रामनवमी के दिन अपने मोहल्ले में धार्मिक उन्माद का माहौल होने पर लोगों को खो दिया।

पटेल नगर रेजिडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कांतिभाई पटेल ने कहा था कि प्रशासन को सूचना देने के बावजूद एंबुलेंस और रेस्क्यू टीम एक घंटे तक मौके पर नहीं पहुंची। उन्होंने कहा कि दुर्घटना के बाद पटेल नगर के निवासियों ने बचाव का बीड़ा उठाया, लेकिन उनके पास पीड़ितों को बावड़ी से बाहर निकालने के लिए पर्याप्त संसाधन और उपकरण नहीं थे।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में उनकी बेबसी साफ झलक रही थी। इसमें एक व्यक्ति को एक महिला को रस्सी से बांधकर बावड़ी से बाहर निकालने की कोशिश करते हुए दिखाया गया है, लेकिन रस्सी टूट जाती है और महिला एक दिल दहला देने वाली चीख के साथ बावड़ी में गिर जाती है।

मंदिर के आसपास जमा हुए कई नागरिकों को यह शिकायत करते हुए भी देखा गया कि प्रशासन त्रासदी की भयावहता का सही अंदाजा नहीं लगा सका और घंटों बीत जाने के बाद ही बचाव के लिए सेना को बुलाने का फैसला किया। स्थानीय लोगों ने बताया कि करीब 24 घंटे तक चले बचाव अभियान के दौरान शव बाहर निकलते रहे, जिसमें 36वां शव सुनील सोलंकी (52) का है।

इंदौर संभागीय आयुक्त (राजस्व) पवन कुमार शर्मा ने मीडिया से कहा कि अगले कुछ दिनों तक लोगों को बावड़ी के पास नहीं जाने दिया जाएगा और पुलिस मौके पर पहरा देगी। उन्होंने कहा, “हम इस बावड़ी से पूरी गाद निकाल देंगे।” उन्होंने कहा इसे हमेशा के लिए मलबा डालकर बंद कर दिया जाएगा, ताकि भविष्य में इसमें किसी तरह की दुर्घटना की आशंका न रहे।

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