
IIT Indore Develops Cement-Free Concrete: भारत के निर्माण क्षेत्र में क्रांति लाते हुए, आईआईटी इंदौर ने एक ऐसी सीमेंट-मुक्त कंक्रीट सामग्री विकसित की है जो न केवल पारंपरिक कंक्रीट की तरह मजबूत है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है। यह नायाब कंक्रीट कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 80% तक की कमी लाने में सक्षम है — जो वैश्विक जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध एक बड़ी जीत मानी जा सकती है।
यह नवाचार जियोपॉलिमर तकनीक पर आधारित है, जिसमें पारंपरिक सीमेंट के बजाय फ्लाई ऐश और GGBS (ग्राउंड ग्रेन्युलेटेड ब्लास्ट फर्नेस स्लैग) जैसे औद्योगिक अपशिष्टों का प्रयोग किया गया है। इस तकनीक से तैयार कंक्रीट तेजी से मजबूत होता है और जल उपचार की आवश्यकता भी नहीं पड़ती।
आईआईटी इंदौर के अनुसार, इस नई तकनीक से तैयार कंक्रीट न केवल पर्यावरण को नुकसान से बचाती है, बल्कि निर्माण लागत में लगभग 20% तक की बचत भी करती है। यह इसे व्यावसायिक रूप से अधिक प्रभावी और आकर्षक विकल्प बनाता है।
इस कंक्रीट की विशेषता यह है कि यह जल्दी सख्त होता है, जिससे यह आपातकालीन निर्माण जैसे सैन्य बंकर, हाइवे रिपेयर, रेलवे प्री-कास्टिंग और राहत शिविरों के लिए आदर्श है।
ध्यान देने योग्य है कि पारंपरिक पोर्टलैंड सीमेंट दुनिया के कुल CO₂ उत्सर्जन का लगभग 8% योगदान देता है। ऐसे में यह तकनीक ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है।
IIT Indore के निदेशक प्रो. सुहास जोशी ने कहा, "यह शोध सतत विकास और भारत की कार्बन न्यूट्रलिटी नीति में योगदान का प्रमाण है।" वहीं, परियोजना के प्रमुख डॉ. अभिषेक राजपूत ने इसे "भविष्य की संरचनाओं को हरित, मजबूत और तेज़ बनाने की दिशा में क्रांतिकारी कदम" बताया।
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