
Indore Land Dispute: मध्य प्रदेश के इंदौर जिले से एक ऐसा दिल झकझोर देने वाला मामला सामने आया है, जिसने प्रशासनिक सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। तेज धूप, जलती जमीन और आंखों में न्याय की आस लिए एक बुजुर्ग दंपती ज़िला कलेक्टर कार्यालय तक लोटते हुए पहुंचा। वजह – दो साल से अपनी जमीन पर हुए अवैध कब्जे के खिलाफ न्याय न मिलना। यह घटना मंगलवार की है, जब जनसुनवाई के दौरान जिला कलेक्टर कार्यालय परिसर में मौजूद लोगों ने एक दंपती को ज़मीन पर लोटते देखा। मौके पर मौजूद लोग पहले हैरान रह गए, लेकिन जब सच्चाई सामने आई, तो हर किसी की आंखें नम हो गईं।
दंपती रामचरण और उनकी पत्नी का आरोप है कि इंदौर के तेजाजी नगर क्षेत्र में उनकी ज़मीन पर दो लोगों ने पिछले दो सालों से जबरन कब्जा कर रखा है। उन्होंने इस संबंध में कई बार थाना, पटवारी और प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ। रामचरण ने मीडिया से बातचीत में कहा – "मैंने हर जगह गुहार लगाई, लेकिन कहीं से सुनवाई नहीं हुई। जब कोई रास्ता नहीं बचा, तो हमने ठान लिया कि अब अपनी फरियाद इस तरह रखेंगे कि नजरअंदाज न किया जा सके।"
सुबह गर्मी के बीच घर से निकले और कलेक्टर ऑफिस के मुख्य गेट से लेकर जनसुनवाई तक की दूरी जमीन पर लोटते हुए तय की। राहगीरों और कर्मचारियों ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन वे अपनी जिद पर अड़े रहे। इस विरोध का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। लोगों ने इस प्रदर्शन को 'जमीनी न्याय की जमीनी लड़ाई' बताया है।
दंपती की इस हरकत के बाद अधिकारियों ने उन्हें रोका और उनकी बात सुनी। जिला प्रशासन की ओर से उन्हें आश्वासन दिया गया कि बुधवार को संबंधित अधिकारी मौके पर जाकर जांच करेंगे और उचित कार्रवाई की जाएगी। SDM त्रिलोचन गौड़ ने कहा – “हमने तत्काल मामले को संज्ञान में लिया है। बुधवार को राजस्व व पुलिस टीम के साथ मौके पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी।” थाना प्रभारी का बयान तेजाजी नगर थाना प्रभारी आदित्य सिंगारिया ने कहा कि यदि फरियादी रामचरण ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है, तो उसकी जांच की जाएगी और वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
रामचरण ने साफ कहा – “अगर दो दिन में कुछ नहीं हुआ, तो अगला कदम मुख्यमंत्री कार्यालय में जाकर ऐसा ही प्रदर्शन करना होगा। जब तक हमारी जमीन वापस नहीं मिलती, हम चुप नहीं बैठेंगे।” इंदौर के इस वायरल वीडियो और प्रदर्शन ने प्रशासनिक उदासीनता की पोल खोल दी है। आम आदमी जब न्याय के लिए सड़कों पर इस कदर उतरने को मजबूर हो जाए, तो यह सिस्टम के लिए चेतावनी है। दंपती की ये कोशिश न सिर्फ उनकी ज़मीन के लिए है, बल्कि पूरे सिस्टम को जगाने की एक आवाज़ है।
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