इस वजह से आंबेडकर को बचपन में ही छोड़नी पड़ी थी अपनी जन्मस्थली, जन्म के ढाई साल तक ही महू में रहे, सिर्फ एक बार लौटे

Published : Apr 14, 2023, 08:59 AM ISTUpdated : Apr 14, 2023, 11:19 AM IST
Indore news dr bhimrao Ambedkar lived at his birthplace Mhow only for two and a half years and returned only once for a few hours zrua

सार

संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर का आज यानि 14 अप्रैल को जन्मदिन है। उनका जन्म वर्ष 1981 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। डॉ. आंबेडकर अपने जन्म के सिर्फ ढाई साल तक ही महू मे रहें।

महू (इंदौर)। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर का आज यानि 14 अप्रैल को जन्मदिन है। उनका जन्म वर्ष 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। डॉ. आंबेडकर अपने जन्म के सिर्फ ढाई साल तक ही महू मे रहें। उसके बाद वह वर्ष 1942 में केवल एक बार, सिर्फ कुछ ही घंटों के लिए ही महू आए थे। उनके चाहने वालों के लिए महू किसी तीर्थस्थल से कम नहीं है। उनके अनुयायियों की यहां पूरे साल भीड़ लगी रहती है।

महू से जाने के बाद डॉ. आंबेडकर एक बार अपने जन्म स्थान लौटे। उसकी भी कहानी दिलचस्प है। इंदौर में वर्ष 1942 में सिविल कास्ट फाउंडेशन की बैठक थी। डॉ. आंबेडकर उस बैठक में शामिल हुए तो महार समाज के लोगों ने उनसे आग्रह किया था कि वह महू चलें। समाज के लोगों के आग्रह पर वह कुछ घंटो के लिए महू आए। शहर के सात रस्ता स्थित चंद्रोदय वाचनालय गए। समाज के लोगों के साथ बैठक की।

1971 में जन्मस्थली खोजने का काम हुआ ​था शुरु

डॉ. आंबेडकर के पिता रामजी सकपाल सेना में कार्यरत थे। वह महार रेजीमेंट में प्रशिक्षक थे और कालीपल्टन इलाके में रहते थे। यहीं स्टाफ क्वार्टर में डॉ. आंबेडकर का जन्म हुआ था। हालांकि वह अपने जन्म से सिर्फ ढाई साल की उम्र तक ही महू में रह सके, क्योंकि उनके पिता रिटायर हो गए थे और उसके बाद वह महाराष्ट्र के रत्नागिरी स्थित अपने पैतृक गांव वापस चले गए। वर्ष 1971 में सेना के पदस्थ एक ब्रिगेडियर जीएस काले ने उनकी जन्मस्थली खोजने का काम शुरु किया। डॉ. आंबेडकर का जन्म स्थान सैन्य भूमि पर था। इसी वजह से उस भूमि को हासिल करना आसान नहीं था। अथक प्रयासों के बाद वर्ष 1986 में सेना द्वारा 22,500 वर्गफुट जमीन स्मारक समिति को लीज पर दी गई।

1991 में रखी गई आधारशिला, 2008 में लोकार्पण

उसके बाद इसे स्मारक का रूप देने की तैयारी की जाने लगी। प्रदेश के तत्कालीन सीएम सुंदरलाल पटवा ने 14 अप्रैल 1991 को महू में स्मारक की आधारशिला रखी। उस कार्यक्रम में देश भर से आई हस्तियां शामिल हुई थीं। जिनमें पूर्व पीएम राहुल गांधी, भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, कांशीराम, मायावती आदि शामिल हुए। इस स्मारक को भी बनने में 15 साल से ज्यादा का समय लग गया। वर्ष 2008 में स्मारक का लोकार्पण लालकृष्ण आडवाणी ने किया था। यह स्मारक एक बौद्ध स्तूप की तरह है।

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