
खरगोन (मध्य प्रदेश)। दिव्यांग बेटी की रोड एक्सीडेंट के दौरान सिर में चोट लगने से मौत हो गई। परिवार वालों पर इस घटना का इतना असर हुआ कि उन्होंने अपनी बेटी की तेरहवी में मृत्यु भोज की जगह हेलमेट बांटने का निर्णय लिया। बाकायदा तेरहवीं के दिन लोगों को हेलमेट बांटे गए।
हेलमेट पहनना अनिवार्य, फिर भी नहीं पहनते बाइक सवार
बाइक सवारों को हेलमेट के इस्तेमाल के लेकर सरकार बार बार चेतावनी देती रहती है। फिर भी लोग बाइक चलाते समय हेलमेट के इस्तेमाल से बचते हैं। सरकार ने अब बाइक पर पीछे बैठने वाले लोगों के लिए भी हेलमेट अनिवार्य कर दिया है। आप भी सड़कों पर बाइक पर पीछे बैठे लोगों में से बहुत कम लोगों को हेलमेट पहने हुए देखा होगा।
अविवाहित दिव्यांग युवती के साथ यही हुआ
खरगोन जिले के झिरन्या गांव की 40 वर्षीय अविवाहित दिव्यांग युवती रेखा के साथ भी यही हुआ। वह परिवार की आर्थिक रूप से मदद करने के लिए सिलाई का काम करती थी। सिलाई मशीन खराब हो गई तो उसने उसे सुधरवाने की सोची और अपने भाई के साथ बाइक से खंडवा के लिए निकली। रास्ते में आभापुरी गांव के पास उसके वाहन के सामने अचानक जानवर आ गया। उससे बाइक का संतुलन बिगड़ गया और वह नीचे गिर गई। दुर्घटना में उसके सिर में गंभीर चोट आई। इलाज के लिए उसे खंडवा के सरकारी अस्पताल ले जाया गया।
समाज को संदेश देने के लिए तेहरवीं में बांटे हेलमेट
चिकित्सकों ने उसे बेहतर इलाज के लिए इंदौर एम वाई अस्पताल रेफर कर दिया। उसी अस्पताल में इलाज के दौरान ही दिव्यांग युवती की मौत हो गई। इसका परिजनों पर गंभीर असर पड़ा। उनका भी मानना है कि यदि बाइक सवार के साथ उनकी बेटी ने भी हेलमेट पहना होता तो उसकी जान बच सकती थी। हेलमेट न पहनने की वजह से एक्सीडेंट में किसी परिवार का चिराग न बुझे, समाज में यह संदेश देने के लिए परिजनों ने मृत्यु भोज की बजाए लोगों को हेलमेट बांटना ज्यादा सही समझा और युवती की तेरहवीं पर हेलमेट बांटे।
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