
Kubereshwar Dham Stampede: मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में स्थित प्रसिद्ध कुबेरेश्वर धाम में एक बार फिर दर्दनाक मंजर देखने को मिला। कांवड़ यात्रा के दौरान मची भगदड़ ने दो महिलाओं की जान ले ली और पांच श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा उस वक्त हुआ जब सावन के दूसरे सोमवार पर भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए कुबेरेश्वर धाम पहुंचे थे। अचानक भीड़ में अफरा-तफरी मच गई और धक्का-मुक्की की स्थिति बन गई, जिसमें दो महिलाओं की दबकर मौके पर ही मौत हो गई।
कांवड़ यात्रा में हजारों श्रद्धालु भक्ति भाव से उमड़ते हैं, लेकिन क्या प्रशासन हर बार तैयार रहता है? 6 अगस्त को पंडित प्रदीप मिश्रा के नेतृत्व में प्रस्तावित भव्य कांवड़ यात्रा से पहले ही यह हादसा कई सवाल खड़े करता है। रात 12 बजे से डायवर्जन और पार्किंग प्लान लागू होना था, लेकिन समय रहते व्यवस्था शुरू नहीं हो पाई। एसपी दीपक शुक्ला ने भी माना कि ट्रैफिक और भीड़ नियंत्रण योजना समय पर क्रियान्वित नहीं हो सकी।
गौरतलब है कि कुबेरेश्वर धाम में भगदड़ की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। फरवरी 2023 में भी रुद्राक्ष वितरण कार्यक्रम में भगदड़ मचने से दो लोगों की मौत हो गई थी। बावजूद इसके, व्यवस्थाओं में सुधार नहीं दिख रहा। प्रशासन के अनुसार, 4 हजार लोगों के लिए ठहराव की व्यवस्था की गई थी, लेकिन हजारों की भीड़ अनियंत्रित हो गई। जगह कम पड़ने से भगदड़ मच गई और व्यवस्थाएं बिखर गईं।
प्रशासन ने इस बार ट्रैफिक और मेडिकल स्टाफ की तैनाती की बात तो कही है, लेकिन हादसे ने इन दावों की पोल खोल दी। श्रद्धालुओं ने खुद प्रशासन की लापरवाही को हादसे का जिम्मेदार बताया है। उप कलेक्टर वृंदावन सिंह ने बताया कि जिम्मेदारी एसडीएम तनय वर्मा को दी गई थी, लेकिन हादसे के वक्त कितनी फोर्स और मेडिकल टीमें तैनात थीं, इसकी जानकारी स्पष्ट नहीं मिल सकी।
घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने बताया कि जैसे ही भगदड़ शुरू हुई, कोई भी कंट्रोल करने वाला नहीं दिखा। अब श्रद्धालु मांग कर रहे हैं कि इस तरह के आयोजनों में सिर्फ धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि सुरक्षा का भी इंतजाम जरूरी है। कुबेरेश्वर धाम हादसा फिर से इस बात की चेतावनी है कि श्रद्धा के साथ-साथ व्यवस्था की भी ज़रूरत है। सिर्फ ट्रैफिक प्लान या मेडिकल टीम तैनात करने से नहीं, बल्कि भीड़ नियंत्रण और प्रोएक्टिव मैनेजमेंट ही ऐसे हादसों को रोक सकता है।
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