कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद के बीच मध्य प्रदेश सरकार का बयान, कही ये जरूरी बात

मध्य प्रदेश सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि कांवर यात्रा मार्ग पर दुकान मालिकों को अपना नाम प्रदर्शित करने की कोई बाध्यता नहीं है। इस कदम से राज्य में व्यापारियों और आम जनता के बीच स्पष्टता बनी रहेगी और किसी भी प्रकार के भ्रम को रोका जा सकेगा।

Kanwar Yatra Name Plate: उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों पर दुकान मालिकों के नाम उजागर करने के निर्देश से जुड़े विवाद के बीच, MP में बीजेपी सरकार ने स्पष्टीकरण जारी किया है। उज्जैन के मेयर मुकेश ततवाल ने 26 सितंबर, 2002 के मेयर-इन-काउंसिल के कथित फैसले का हवाला दिया था। उन्होंने दावा किया था-"दुकान मालिकों को बोर्ड पर अपने नाम और फोन नंबर प्रदर्शित करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।" इस बाबत UDHD ने रविवार रात एक आधिकारिक बयान जारी किया। मेयर के दावे का खंडन करते हुए कहा-"राज्य सरकार ने शहरी क्षेत्रों में कांवर यात्रा मार्गों पर इस तरह के निर्देश जारी नहीं किए हैं। किसी भी तरह का भ्रम फैलाने से बचें।"

UDHD ने कहा-"मध्यप्रदेश आउटडोर विज्ञापन मीडिया नियम, 2017, दुकान मालिकों को बोर्ड पर अपना नाम प्रदर्शित करने के लिए बाध्य नहीं करते हैं।" महापौर की टिप्पणियों के बाद, उज्जैन नगर निगम ने भी पुष्टि की कि शहर में दुकान बोर्डों पर नाम और फोन नंबर प्रदर्शित करना अनिवार्य करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। हालांकि, भाजपा विधायक रमेश मेंदोला ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर दुकान मालिकों को गर्व से अपना नाम प्रदर्शित करने के लिए समर्थन व्यक्त किया था। उन्होंने तर्क दिया था-"नामों का प्रदर्शन व्यक्तिगत गौरव और ग्राहक अधिकार का मामला है। ऐसा कुछ नहीं है जिसे अनिवार्य या हतोत्साहित किया जाए। हर छोटे-बड़े व्यापारी, व्यापारी और दुकानदार को अपना नाम बताने में गर्व की अनुभूति होगी।"

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सुप्रीम कोर्ट ने यूपी और उत्तराखंड को दिया झटका

सुप्रीम कोर्ट के कांवड़ यात्रा के दौरान नेमप्लेट लगाने वाले उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है। इसके अलावा संबंधित राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 15(1) और 17 का हवाला देते हुए नेमप्लेट वाले आदेश पर रोक लगाई है। संविधान का आर्टिकल 15 धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव से रोक लगाता है। आर्टिकल 17  छुआछूत को खत्म करता है।

ये भी पढ़ें: कांवड़ यात्रा: नेम प्लेट पर नाम नहीं, शाकाहारी-मांसाहारी लिखें, SC ने क्या कहा

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