मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव (Mohan Yadav) ने बुधवार (26 जून) को राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में आपातकाल पर एक चैप्टर शामिल करने की घोषणा की।
MP CM Mohan Yadav On Emergency Chapter: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव (Mohan Yadav) ने बुधवार (26 जून) को राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में इमरजेंसी पर एक चैप्टर शामिल करने की घोषणा की। CM मोहन यादव के मुताबिक स्कूली पाठ्यक्रम में मौजूद चैप्टर इमरजेंसी के दौरान की गई ज्यादतियों और दमन की व्याख्या करेगा, जो 1975 में कांग्रेस सरकार द्वारा लगाया गया था। इस कदम के पीछे का मकसद मौजूदा पीढ़ी को 1975 से 1977 के इमरजेंसी के दौरान हुए संघर्ष से अवगत कराना है। सीएम इमरजेंसी के दौरान लड़ने वालों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा देश में मौजूदा परिस्थितियों, दमन और तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा उठाए गए कठोर कदम का विरोध करने के लिए लोकतंत्र सेनानियों के दृढ़ संकल्प पर एक सबक स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
CM मोहन यादव ने इमरजेंसी के दौरान संघर्ष में भाग लेने वाले 'लोकतंत्र सेनानियों' (लोकतंत्र सेनानियों) के लिए कई अतिरिक्त सुविधाओं की भी घोषणा की है। उन्होंने लोकतंत्र सेनानियों को 50 फीसदी की छूट पर तीन दिनों के लिए सरकारी सर्किट हाउस में रहने की सुविधा, नेशनल हाइवे पर टोल भुगतान में छूट, आयुष्मान स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से इलाज पर होने वाले खर्च के भुगतान में मदद। इसके अलावा, लोकतंत्र सेनानियों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के मामले में एयर एम्बुलेंस प्रदान की जाएगी, और इमरजेंसी विरोधी योद्धाओं को किराए में 25 फीसदी की छूट मिलेगी।
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कब लागू हुई थी इमरजेंसी?
CM मोहन यादव ने लोकतंत्र सेनानियों के संबंधित कलेक्टरों को 3 माह के भीतर भुगतान सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया। लोकतंत्र सेनानियों के लिए राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार के लिए सभी व्यवस्था की जाएंगी। इसके अलावा, अंतिम संस्कार के समय उनके परिवारों को दी जाने वाली राशि मौजूदा ₹8,000 से बढ़ाकर ₹10,000 कर दी जाएगी। बता दें कि 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू कर दिया, विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया और प्रेस सेंसरशिप लागू कर दी। इस साल इमरजेंसी की शुरुआत की 50वीं वर्षगांठ मनाई गई। वहीं कल लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी इमरजेंसी की बात सभा में उठाई थी।
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