आजादी के 75 साल बाद भी एमपी में ऐसा गांव है। जहां लोगों को मौत के बाद भी आसानी से मुक्ति नहीं मिलती। ऐसा ही एक मामला तब नजर आया, जब एक 80 साल के बुजुर्ग की मौत हो गई।
नीमच. मध्यप्रदेश के नीमच जिले की रामपुरा तहसील के अंतर्गत आनेवाले गांव बड़ोदिया बुजुर्ग में श्मशान घाट का रास्ता बड़ा ही उबड़-खाबड़ है। ये बारिश के मौसम में और भी खराब हो जाता है। हैरानी की बात तो यह है कि अगर किसी की बारिश में मौत हो जाए तो उसके अंतिम संस्कार के लिए श्मघान घाट जाने के लिए नाला पार करना पड़ता है। जिसमें पानी का बहाव तेज होने के कारण हादसे का भय बना रहता है। ऐसा ही नजारा शनिवार को नजर आया। बड़ी मुश्किल से लोग अर्थी को लेकर नाला पार कर श्मशान घाट पहुंचे।
बारिश में नहीं हो किसी की मौत
बड़ोदिया बुजुर्ग गांव में स्थित एक नाला बारिश के मौसम में मुसीबत बन जाता है। सालभर तो यहां पानी नहीं रहता, लेकिन बारिश में तेज बहाव से पानी निकलता है। ऐसे में गांव के लोग यही कामना करते हैं कि कम से कम बारिश के मौसम में किसी की मौत नहीं हो। क्योंकि इस मौसम में किसी भी इंसान की मौत होने पर मृतक की अर्थी सहित अंतिम संस्कार में शामिल सभी लोगों को नाला पार करके निकलना पड़ता है। चूंकि इस नाले में घुटने तक पानी होता है। ऐसे में नाला पार करना बड़ा मुश्किल हो जाता है।
अर्थी लेकर चलने वाले परेशान
इस समस्या का सबसे अधिक सामना कंधों पर अर्थी लेकर चल रहे लोग और मृतक के बेटे को करना पड़ता है। जो आगे अग्नि की थाली लेकर चलता है। क्योंकि नाले के अंदर पत्थर आदि भी पड़े होते हैं। ऐसे में नंगे पैर नाला पार करना वह भी बिना किसी सहारे के डर लगता है। कई बार तो अर्थी गिरने का डर भी रहता है।
यह भी पढ़ें : खरगोन में चॉकलेट के अंदर से निकले 4 दांत, बर्थडे में मिली टॉफी खा रही थी मैडम
नानूराम गुर्जर की मौत
शनिवार शाम को बड़ोदिया बुजुर्ग गांव के 80 वर्षीय नानूराम गुर्जर की मौत हो गई थी। जिनका अंतिम संस्कार करने में ग्रामीणों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा। ग्रामीणों का कहना है कि इस बारे में अफसरों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक को अवगत कराया जा चुका है। लेकिन बार बार बोलने के बाद भी कोई समस्या का हल नहीं करता है।
यह भी पढ़ें : रीवा में दबंगों ने 2 महिलाओं को जिंदा गाड़ा, प्यास से तड़पती रही, नहीं दिया पानी