मकान-दुकान और पिता ने बेटी के इलाज के खून तक बेचा, आखिर में सिस्टम से हारा तो कर लिया सुसाइड, रूला देगी कहानी

Published : Apr 19, 2023, 04:53 PM ISTUpdated : Apr 19, 2023, 05:25 PM IST
Madhya Pradesh Satna emotional story

सार

मध्य प्रदेश के सतना जिले से एक बेहद मार्मिक खबर सामने आई है। जहां एक बेबस पिता ने सरकारी सिस्टम के आगे हारकर सुसाइड कर लिया। बेटी के इलाज के लिए अपना मकान-दुकान यहां तक की अपना खून तक बेच दिया। लेकिन इलाज नहीं मिला।

सतना. मध्य प्रदेश के सतना जिले से दिल को झकझोर देने वाली ऐसी खबर सामने आई है। जो राज्य सरकार के कोरे वादों की पोल खोलती दिख रही है। यहां पिता ने सरकारी सिस्टम के आगे लाचार होकर सुसाइड कर लिया। क्योंकि इस बबस बाप ने अपनी दिव्यांग बेटे के इलाज के लिए अपनाा मकान-दुकान सब बेच दिया, दफ्तरों के चक्कर पर चक्कर काटे, इतना ही नहीं अपने खून तक बेच दिया। लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की। आखिर में उससे अपनी बेटी का दुख देखा नहीं गया और मजबूर होकर अपनी जिदंगी ही खत्म कर ली।

एक हादसे में तबाह हो गई थी बेटी की जिंदगी

दरअसल, रूला देने वाली यह खबर सतना जिले के कोलगंवा थाने क्षेत्र से सामने आई है। जहां ट्रांसपोर्ट नगर में रहने वाले प्रमोद गुप्ता नाम के शख्स की 21 साल की बेटी अनुष्का 12 वर्ष पहले एक हादसे में पैरालाइज्ड हो गई थी। तभी से वह बिस्तर पर थी, बस इसी दिव्यांग के इलाज के लिए पिता दर-दर भटकता रहा, लेकिन उसे उचित इलाज नहीं मिला। युवक ने अपनी जिंदगी भर की सारी संपत्ति बेच दी, फिर भी बेटी बिस्तर से उठ नही संकी। ऐसे में बेबस होकर उसने सुसाइड कर लिया।

सरकारी तंत्र के आगे बेबस होकर ट्रेन के आगे कूद गए

मकान-दुकान और जिंदगी भर की पूंजी बेचने के बाद भी जब बेटी ठीक नहीं हुई। आलम यह था कि सब कुछ चले जान के बाद परिवार दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हो गया। बताया जाता है कि जब पैसे नहीं ते तो पिता प्रमोद ने अपना खून बेचकर गैस सिलेंडर भरवाया, ताकि बच्चे पेट भर के खाना खा सकें। सब चले जाने के बाद पिता प्रमोद ने बीपीएल समेत तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए तहसील से लेकर कलेक्टर और मंत्रालय तक अनगिनत चक्कर लगाए। लेकिन उन्हों किसी भी सरकारी योजना का कोई लाभ नहीं मिला। आखिरकार सरकारी तंत्र के आगे घुटने टेक दिए और उन्होंने जिंदगी से हार मान ली। मंगलवार को घर से निकलकर ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दे दी।

दिव्यांग बेटी ने सुनाई अपने बेबस पिता की कहानी

बता दें कि दिव्यांग अनुष्का पढ़ने में बहुत होशियार है, उसने बिस्तर पर रहकर दसवीं की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास की है। पढ़ाई के लिए उसने ऑनलाइन क्लास अटेंड की थीं। 2022 में उसे दसवीं परीक्षा में पास होने पर मेधावी छात्रा का सम्मान मिला है। लेकिन अब अनुष्का की आंखों से आंसू बंद नहीं हो रहे हैं। उसका कहना है कि जब कभी दूध वाला, किराने वाला या फिर अन्य कोई लेनदार पैसा लेने आता तो पिता जी दुखी हो जाते थे। सारा पैसा उन्होंने मेरे इलाज पर खर्च कर दिया था, इसके बाद भी मैं ठीक नहीं हुई तो उन्होंने तनाव में आकर यह कदम उठा लिया। वहीं मामले की जांच कर रहे डीएसपी ख्याति मिश्रा का कहना है कि प्रमोद गुप्ता ने मुख्त्यारगंज रेलवे फाटक पर ट्रेन से कटकर जान दे दी। शव को बरामद कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है।

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