क्या आपने कभी सुना है? RTI का जवाब 40,000 पन्नों में मिला, आवेदक को SUV में भरकर ले जाना पड़ा दस्तावेज

दुनिया में कभी अजीबोगरीब कारनामों का जिक्र होगा तो भारत में आरटीआई कानून और उसके बाद के हालातों पर चर्चा जरूर होगी। यहां कभी आरटीआई का जवाब देने के लिए लाखों रुपए सिर्फ इसलिए मांगे गए क्योंकि जवाब के कागज की फोटोकॉ़पी करानी थी।

Manoj Kumar | Published : Jul 29, 2023 1:21 PM IST

RTI Madhya Pradesh. मध्य प्रदेश से आरटीआई का एक ऐसा मामला आया है, जिसे जानकर हर कोई हैरान है। यहां सूचना के अधिकार कानून के तहत जब आवेदक को जवाब मिला तो वह भी दंग रह गया क्योंकि यह जवाब कोई 1-2 पन्नों का नहीं है बल्कि यह जवाब सीधे 40 हजार पन्नों में मिला जिस एसयूवी में लादकर आवेदक को ले जाना पड़ा। इतना ही नहीं आवेदकर इन पन्नों के लिए प्रति पन्ना 2 रुपए का भुगतान भी नहीं करना पड़ेगा क्योंकि यह जवाब उसे निर्धारित 1 महीने के बाद मिला है।

क्या है मध्य प्रदेश का आरटीआई मामला

मध्य प्रदेश के इंदौर में एक व्यक्ति की एसयूवी पूरी तरह से 40,000 पन्नों से भर गई। दसअसल उसने कोविड​​​​-19 महामारी से संबंधित सूचना के अधिकार अधिनियम की याचिका दी थी जिसका जवाब उसे मिला है। आवेदक धर्मेंद्र शुक्ला को प्रति पृष्ठ निर्धारित ₹2 का भुगतान नहीं करना पड़ा क्योंकि उनकी याचिका पर एक महीने के भीतर जवाब नहीं दिया गया था। आवेदक ने बताया कि मैंने इंदौर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) के पास एक आरटीआई याचिका दायर कर कोविड-19 महामारी अवधि के दौरान दवाओं, उपकरणों और संबंधित सामग्रियों की खरीद से संबंधित निविदाओं और बिल भुगतान का विवरण मांगा था।

1 महीने के बाद मिला आरटीआई का जवाब

आवेदक ने बताया कि उन्हें एक महीने के भीतर सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई। इसलिए उन्होंने प्रथम अपीलीय अधिकारी डॉ. शरद गुप्ता से संपर्क किया और उन्होंने याचिका स्वीकार कर ली और निर्देश दिया कि उन्हें सूचना निःशुल्क दी जाए। उन्होंने कहा कि मैं दस्तावेज वापस लाने के लिए अपनी एसयूवी लेकर गया था और पूरी गाड़ी पैक हो गई। केवल ड्राइवर की सीट ही खाली रही। संपर्क करने पर अपीलीय अधिकारी और राज्य स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय संयुक्त निदेशक डॉ. शरद गुप्ता ने कहा कि उन्होंने आदेश दिया है कि जानकारी मुफ्त दी जाए। डॉ. गुप्ता ने कहा कि उन्होंने सीएमएचओ को उन कर्मियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है, जिनके कारण समय पर जानकारी नहीं देने के कारण राज्य के खजाने को 80,000 रुपये का नुकसान हुआ।

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