Miracle in Bhopal: कोबरा ने डसा, 7 घंटे मौत से जूझता रहा मासूम, डॉक्टर भी हो रहे थे हताश, फिर हुआ चमत्कार

Published : Aug 01, 2025, 10:38 AM IST
Child bitten by black cobra

सार

Cobra Bite Miracle in Bhopal: भोपाल में 5 साल के बच्चे को कोबरा ने सोते समय डस लिया, ज़हर शरीर में फैल चुका था। 7 घंटे तक चला इलाज, 40 वॉयल एंटी वेनम से डॉक्टरों ने बचाई जान! क्या यह सिर्फ इलाज था या कोई चमत्कार? जानें इस चौंकाने वाली कहानी को।

Bhopal News: भोपाल में घटित एक चौंकाने वाली घटना ने इस सवाल को नए सिरे से जन्म दिया है। जहां आमतौर पर कोबरा के डसते ही मौत के साए मंडराने लगते हैं, वहीं इस बार किस्मत, समय पर इलाज और डॉक्टरों की सूझबूझ ने चमत्कार कर दिखाया।

कब और कैसे हुई घटना?

घटना मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एक गांव की है, जहां 5 साल का एक मासूम बच्चा रात में गहरी नींद में सो रहा था। तभी एक ज़हरीला कोबरा उसके पास आ पहुंचा और उसे डंस लिया। जैसे ही परिजनों ने बच्चे की हालत बिगड़ती देखी, वे तुरंत उसे नज़दीकी अस्पताल ले गए।

ज़हर पूरे शरीर में फैल चुका था… फिर कैसे हुई बच्चा ठीक? 

डॉक्टरों के मुताबिक जब बच्चा अस्पताल पहुंचा, तब तक कोबरा का ज़हर पूरे शरीर में फैल चुका था। हालत इतनी गंभीर थी कि बच्चा बेहोश हो गया था और साँसें भी धीमी पड़ने लगी थीं। ऐसे में डॉक्टरों की टीम ने बिना वक्त गंवाए लगातार 7 घंटे तक इलाज किया और 40 वॉयल एंटी वेनम इंजेक्शन दिए। यह बेहद क्रिटिकल स्थिति थी, लेकिन डॉक्टरों की कोशिशों और मेडिकल टेक्नोलॉजी की मदद से मासूम की जान बचा ली गई।

क्या यह केवल साइंस का करिश्मा है या कुछ और? 

इलाज के बाद बच्चा अब स्वस्थ है और अस्पताल से छुट्टी भी मिल चुकी है। लेकिन इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। लोग इसे चमत्कार मान रहे हैं, तो कुछ इसे डॉक्टरों की मेहनत और मेडिकल साइंस की जीत कह रहे हैं।

ऐसे मामलों से क्या सीख लेनी चाहिए? 

इस घटना से साफ है कि कोबरा जैसे ज़हरीले सांपों के डसने पर घबराने की बजाय समय पर इलाज और सही जानकारी से जान बचाई जा सकती है। गांवों में सर्पदंश जागरूकता अभियान, एंटी वेनम की उपलब्धता और प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण जीवन रक्षक हो सकता है। पीडियाट्रिक विभाग की एचओडी डॉ मंजूषा गोयल ने बताया कि बच्चे को बचाना इसलिए संभव हो पाया क्योंकि घरवाले झाड़-फूंक या देरी करने की बजाय सीधे अस्पताल पहुंचे। यदि थोड़ी भी देर होती, तो बच्चे की जान बचाना बेहद मुश्किल हो जाता।

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