MP: योग क्लास में ‘नमाज के स्टेप्स’? बच्चियों ने किया चौंकाने वाला खुलासा, शिक्षक सस्पेंड!

Published : Oct 29, 2025, 12:51 PM IST
mp burhanpur school namaz before surya namaskar update

सार

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के सरकारी स्कूल में सूर्य नमस्कार से पहले बच्चों को नमाज के स्टेप्स सिखाने का मामला सामने आया। जांच में आरोप सही पाए गए, शिक्षक निलंबित हुआ। मामला धार्मिक बहस और शिक्षा प्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है।

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के देवरी गांव में एक सरकारी स्कूल में हुआ खुलासा पूरे प्रदेश को चौंका गया है। यहां सूर्य नमस्कार से पहले बच्चों को ‘नमाज के स्टेप्स’ सिखाने का मामला सामने आया है। दीपावली की छुट्टियों के दौरान घर लौटे बच्चों ने जब यह बात अपने माता-पिता को बताई, तो गांव में हड़कंप मच गया। शिकायत पर जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने स्कूल का निरीक्षण किया, जहां बच्चियों ने आरोपों की पुष्टि करते हुए अधिकारियों के सामने नमाज जैसी मुद्राएं करके दिखाईं। मामले की गंभीरता को देखते हुए शिक्षक जबूर अहमद तड़वी को तत्काल निलंबित कर दिया गया।

दीपावली की छुट्टी ने खोला राज, बच्चों ने घर पर सुनाई पूरी कहानी

देवरी के गवर्नमेंट मिडिल स्कूल (शाहपुर थाना क्षेत्र) में तैनात योग शिक्षक जबूर अहमद तड़वी पर आरोप है कि वे सूर्य नमस्कार से पहले बच्चों को नमाज जैसी मुद्राएं सिखाते थे। 5वीं कक्षा की एक छात्रा ने DEO को बताया—

“तड़वी सर ने कहा था कि ये योग का हिस्सा है, लेकिन यह नमाज जैसा लगता था। हम रोज करते थे।”

बच्चियों के अनुसार, स्टेप्स में पहले हाथ जोड़ना, फिर झुकना, घुटनों पर बैठना और सिर झुकाना शामिल था, जो नमाज के रकातों से मेल खाते थे।दीपावली की छुट्टियों में जब बच्चे घर लौटे, तो उन्होंने यह सब अपने परिजनों को बताया। परिजन पहले तो चौंक गए, लेकिन जब स्कूल जाकर जांच की, तो आरोप सही पाए गए।

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‘सूर्य नमस्कार के बहाने नमाज सिखाई जा रही थी’, संगठन ने उठाई सख्त कार्रवाई की मांग

शुक्रवार को हिंदू जागरण मंच के जिलाध्यक्ष अजीत परदेसी स्कूल पहुंचे। उन्होंने छात्राओं से बात की और कहा

“यह सूर्य नमस्कार का बहाना बनाकर हिंदू बच्चों को नमाज सिखाने की साजिश थी। धर्मांतरण रोकने के लिए तुरंत सख्त कदम जरूरी हैं।”

इस बयान के बाद मामला और गरमा गया। सोशल मीडिया पर यह खबर तेजी से वायरल हुई और प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़ी।

DEO की जांच में खुली सच्चाई, बच्चियों ने दिखाए ‘नमाज के स्टेप्स’

शनिवार (26 अक्टूबर) को जिला शिक्षा अधिकारी संतोष सिंह सोलंकी ने स्कूल का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने 5वीं कक्षा की कई छात्राओं से अलग-अलग पूछताछ की। बच्चियों ने न केवल आरोप दोहराए बल्कि अधिकारियों के सामने नमाज जैसी मुद्राएं दोहराकर दिखाईं। एक वीडियो में बच्चियां DEO के सामने स्टेप्स करती दिख रही हैं। इस वीडियो के वायरल होने के बाद जबूर अहमद तड़वी को तत्काल निलंबित कर दिया गया। अपर कलेक्टर वीर सिंह चौहान ने कहा-

“DEO की रिपोर्ट में आरोप सही पाए गए हैं। पूर्ण जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।”

 

शिक्षक की सफाई ‘यह नमाज नहीं, योग का शशांकासन था’

निलंबन के बाद शिक्षक जबूर अहमद तड़वी ने सोशल मीडिया पर सफाई दी। उन्होंने कहा “मैं सिर्फ योग सिखा रहा था। यह शशांकासन (बालासन) था, जो देखने में नमाज जैसा लगता है, लेकिन यह योग का हिस्सा है।”

उन्होंने दावा किया कि कुछ संगठनों ने इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देकर विवाद खड़ा किया है।“मैं दस साल से सरकारी शिक्षक हूं, कभी कोई शिकायत नहीं हुई। जांच में सच्चाई सामने आ जाएगी।”

हालांकि, अभिभावक इस सफाई से संतुष्ट नहीं हैं। एक अभिभावक ने कहा “अगर यह योग था तो सूर्य नमस्कार से पहले क्यों कराया गया? बच्चे खुद बता रहे हैं कि सर नमाज के स्टेप्स सिखाते थे।”

अभिभावकों का गुस्सा फूटा, स्कूल के बाहर प्रदर्शन

मामला सामने आने के बाद अभिभावकों ने स्कूल के बाहर धरना दिया और लिखा “हमारे बच्चों का धर्मांतरण नहीं होने देंगे।” परिजनों का कहना है कि उन्होंने जनशिक्षक को सूचना दी थी, जिसके बाद मामला जिला स्तर तक पहुंचा। हिंदू जागरण मंच ने इस मुद्दे को “धर्मांतरण की साजिश” बताते हुए FIR दर्ज करने की मांग की है।

क्या योग पर फिर छिड़ेगी धार्मिक बहस? मध्य प्रदेश में पहले भी उठ चुके सवाल

यह कोई पहला मौका नहीं जब योग और नमाज को लेकर विवाद हुआ हो। 2015 में राज्य के एक मंत्री ने कहा था— “नमाज भी सूर्य नमस्कार का रूप है।” 2022 में इसी मुद्दे पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।

शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है “स्कूलों में धार्मिक संतुलन और सांस्कृतिक संवेदनशीलता की ट्रेनिंग जरूरी है। योग को किसी धर्म से जोड़ने के बजाय शारीरिक व्यायाम के रूप में सिखाया जाना चाहिए।”

अब होगी कानूनी जांच, शिक्षा विभाग ने जारी किए नए आदेश

प्रशासन ने इस मामले में BNS की धारा 196 (धार्मिक भावनाएं भड़काना) और शिक्षा विभाग के नियमों के तहत जांच शुरू कर दी है। यदि आरोप साबित हुए तो शिक्षक पर आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है।

DEO ने सभी स्कूलों को निर्देश जारी किए “योग केवल सरकारी पाठ्यक्रम और NCC/AYUSH गाइडलाइंस के अनुसार ही कराया जाए। किसी भी धार्मिक मुद्रा को बढ़ावा न दिया जाए।”

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