
दो दशक से भी ज्यादा समय तक सार्वजनिक बस सेवाओं का इंतजार कर रहे मध्यप्रदेश के यात्रियों के लिए आखिरकार राहत की घड़ी आ गई है। लंबे समय से निजी बसों की मनमानी, असुरक्षित सफर और अव्यवस्थित रूटों की समस्या झेल चुके लोग अब एक नई व्यवस्था की दहलीज पर खड़े हैं। 21 साल बाद एमपी की सड़कें फिर से सरकारी बसों की गूंज सुनेंगी, क्योंकि राज्य सरकार ने ‘जनबस’ नाम से आधुनिक और व्यवस्थित परिवहन व्यवस्था शुरू करने का फैसला किया है। यह कदम प्रदेश में यात्रियों की सुविधा और सुरक्षित यात्रा की दिशा में ऐतिहासिक बदलाव माना जा रहा है।
यात्री परिवहन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड नाम की नई सरकारी कंपनी प्रदेश में बस संचालन संभालेगी। कंपनी ने 25 जिलों में 6000+ रूटों की मंजूरीदे दी है। इसका मतलब है कि बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों और ग्रामीण इलाकों तक सरकारी बसों की पहुंच सुनिश्चित की जाएगी। इन रूटों पर कुल 10,879 सरकारी बसें दौड़ेंगी, जो यात्रियों को रोजमर्रा की यात्रा में नई सुविधा और सुरक्षा का अनुभव कराएंगी।
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नई सरकारी बसें पुराने दौर जैसी नहीं होंगी। इनमें कई हाई-टेक सुविधाएं शामिल होंगी—
सरकार का दावा है कि यह मॉडल यात्रियों को सुविधाजनक यात्रा का अनुभव देगा और निजी बस ऑपरेटरों की मनमानी पर लगाम लगाएगा।
इस नई परिवहन व्यवस्था की शुरुआत अप्रैल 2026 में इंदौर से की जाएगी। इंदौर मॉडल की सफलता के बाद इसे चरणबद्ध तरीके से पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि अप्रैल 2027 तक यह प्रणाली हर जिले और संभाग में पूरी तरह लागू हो जाए। इसलिए आने वाले दो साल एमपी की परिवहन व्यवस्था के लिए गेमचेंजर साबित हो सकते हैं।
यातायात विशेषज्ञों का मानना है कि जनबस योजना से-
छोटे कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचने वाली सरकारी बसें कनेक्टिविटी बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाएंगी।
बसों में महिला यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता में रखते हुए-
जैसी तकनीक शामिल की जा रही है। सरकार का कहना है कि यह कदम महिलाओं के लिए बस यात्रा को अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद बनाएगा।
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