नए आपराधिक कानून: मध्यप्रदेश में क्रांतिकारी बदलाव

Published : Jan 22, 2025, 11:46 AM IST
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सार

मध्यप्रदेश में नए आपराधिक कानूनों का क्रियान्वयन शुरू हो गया है। साइबर क्राइम, महिला सुरक्षा, और त्वरित न्याय पर ज़ोर। क्या ये बदलाव वाकई क्रांतिकारी साबित होंगे?

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की प्रतिबद्धता के परिणाम स्वरूप देश में तीन नए आपराधिक कानूनों का क्रियान्वयन जा रहा है। वर्तमान समय की आवश्यकता और चुनौतियों को ध्यान में रखकर बनाए गए यह कानून, भारतीय न्याय प्रणाली को औपनिवेशिक मानसिकता से निकालकर अधिक लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम हैं। राज्य सरकार इन कानूनों को प्रदेश में शत-प्रतिशत क्रियान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है। देश में जुलाई 2024 से नए कानूनों का क्रियान्वयन आरंभ हुआ। यह कानून, क्रियान्वयन के साथ ही प्रदेश में प्रभावी हों, इस उद्देश्य से राज्य शासन द्वारा आवश्यक गतिविधियों का संचालन पहले से ही आरंभ कर दिया गया था। जन-जन को नए कानूनों की जानकारी देने और थाना स्तर तक उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए पांच आयामी रणनीति पर कार्य किया गया। जन-जागरूकता, प्रशिक्षण, व्यवस्था और तकनीकी उन्नयन, उपकरण और भौतिक संसाधन, नवीन पदों का सृजन और राज्य स्तर से नियम और अधिसूचनाएं जारी करने के लिए समय-सीमा निर्धारित कर नियमित मॉनिटरिंग के माध्यम से उनकी प्रगति सुनिश्चित की गई। केन्द्र सरकार ने तीनों नए आपराधिक कानूनों, क्रमश: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार की सराहना की है।

नए कानूनों में साइबर अपराध, डाटा चोरी और डिजिटल धोखाधड़ी जैसे अपराधों के लिए हैं प्रभावी प्रावधान

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि नए कानूनों में साइबर अपराध, डाटा चोरी और डिजिटल धोखाधड़ी जैसे नए युग के अपराधों को परिभाषित करते हुए उनके लिए कठोर सजा का प्रावधान किया गया है। यह कानून, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले मामलों की त्वरित सुनवाई और सख्त दंड सुनिश्चित करते हैं, इनमें बलात्कार जैसे अपराधों के लिए समयबद्ध जांच और सुनवाई के प्रावधान जोड़े गए हैं। नए कानूनों के माध्यम से डिजिटल तकनीक और प्रक्रियाओं के सरलीकरण के जरिए मामलों को तेजी से निपटाने का भी प्रयास किया गया है। वास्तविकता है कि पुराने कानून जटिल थे और जनता के लिए समझने में भी कठिन थे, परिणामस्वरुप न्याय प्रक्रिया लंबी हो जाती थी और पीड़ितों को समय पर न्याय नहीं मिल पाता था। पीड़ित को तत्काल न्याय और दोषियों को दंड, अपराधियों में कानून का भय व्याप्त करने और कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहतर बनाने में सहायक होगा। इससे प्रदेश में निवेश, उद्योग और विकास गतिविधियों के विस्तार में भी सुविधा होगी।

पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों के वार्षिक कोर्स कैलेंडर में शामिल किया गया है नए कानूनों पर प्रशिक्षण

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि जन-सामान्य को राहत पहुंचाना, नए कानून लागू करने का मुख्य उद्देश्य है। अतः जन-सामान्य में कानून के प्रति जागरूकता के लिए पोस्टर प्रदर्शनी, ग्रुप डिस्कशन और लघु फिल्मों के माध्यम से विशेष अभियान चलाया गया। इसके साथ ही पुलिस, अन्य विभागों के अधिकारी-कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया। अब तक 87 हजार से अधिक को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है। प्रदेश की सभी पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों के वार्षिक कोर्स कैलेंडर में भी प्रशिक्षण को सम्मिलित किया गया है।

ई-एफ.आई.आर की सुविधा आमजन के लिए वरदान

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि जुलाई से दिसंबर 2024 के अंत तक एक लाख 40 हजार 235 प्रथम सूचना पंजीबद्ध की गई, 4110 प्रथम सूचना शून्य पर दर्ज हुई और 6577 ई-एफ.आई.आर. दर्ज हुई। नए कानूनों में की गई ई-एफ.आई.आर की सुविधा वर्तमान तकनीकी युग में आमजन के लिए वरदान है। व्यक्ति घर बैठे ही अपनी शिकायत पुलिस को लिखा सकते हैं। ई-सम्मन की व्यवस्था देश में लागू करने में मध्यप्रदेश अग्रणी रहा है। प्रदेश में यह व्यवस्था गत चार वर्ष से जारी है। कार्यकुशलता बढ़ने के साथ ही पुलिस कर्मियों के समय की भी बचत हो रही है। जुलाई 2024 से दिसम्बर 2024 के बीच कुल प्राप्त 5 लाख 73 हजार 776 सम्मन में से 3 लाख 40 हजार सम्मन की तामिली ऑनलाईन वॉट्स ऐप तथा ई-रक्षक के माध्यम से की गई। प्रदेश में क्रियान्वित एम.पी ई-रक्षक ऐप अपराधियों की जानकारी रखने, संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान सुनिश्चित करने, वाहन सर्च और ऑनलाईन सम्मन तामीली में सहायक है।

भोपाल में हुआ ई-साक्ष्य ऐप विकसित

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि ई-साक्ष्य ऐप का निर्माण भोपाल स्थित सेंट्रल एकेडमी फॉर पुलिस ट्रेनिंग में ही हुआ और उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर दिल्ली पुलिस में इसका पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया। अब यह पूरे भारत में एन.आई.सी. के, ई-साक्ष्य ऐप के माध्यम से लागू हो रहा है। उन्होंने कहा कि भोपाल में बन रहे नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी कैंपस के माध्यम से विधि विज्ञान और फोरेंसिक में प्रशिक्षित विद्यार्थियों का नवीन कानूनों के क्रियान्वयन में उपयोग करने में मदद मिलेगी।

नए कानून जनता की भागीदारी और उनके अधिकारों को देते हैं प्राथमिकता

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि नए कानूनों के प्रभावी रूप से क्रियान्वयन के लिए सम्पूर्ण व्यवस्था को तकनीकी रूप से उन्नत करने और अद्यतन उपकरण एवं संसाधन उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य जारी है। पुलिस बल को टेबलेट उपलब्ध कराए जा रह हैं। थानों सहित संपूर्ण पुलिस इकाइयों की कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के अद्यतन तकनीकी संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। प्रदेश के सभी जेलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा और क्यूबिकल उपलब्ध कराए गए हैं। ई-प्रिज़न डाटा, ई-प्रोसिक्यूशन, सात विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं, पाँच डीएनए प्रयोगशालाओं, प्रशिक्षित विधि विज्ञान वैज्ञानिकों व अन्य तकनीकी सहायकों के माध्यम से नवीन आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन को अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में निरंतर कार्य जारी है। नए कानून जनता की भागीदारी और उनके अधिकारों को प्राथमिकता देते हैं। इनमें अपराधी के सुधार और पुनर्वास पर भी ध्यान दिया गया है।

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