मध्य प्रदेश पुलिस ने एक व्यवसायी को साइबर अपराधियों से बचाया, जिन्होंने खुद को सीबीआई और मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारी बताकर वीडियो कॉल पर धोखा देने की कोशिश की। जानें, डिजिटल गिरफ्तारी के बारे में और इससे बचने के उपाय।
भोपाल। डिजिटल गिरफ्तारी के बढ़ते मामलों के बीच मध्य प्रदेश पुलिस ने एक व्यवसायी को साइबर अपराधियों द्वारा लूटे जाने से बचाया, जो अधिकारी बनकर आए थे। साइबर अपराधियों ने व्यवसायी को धमकाया और उसे वीडियो कॉल पर बुलाया। डिजिटल गिरफ्तारी के दौरान व्यवसायी ने स्थानीय पुलिस को सतर्क कर दिया था।
शहर के अरेरा कॉलोनी निवासी विवेक ओबेरॉय को शनिवार दोपहर करीब 1 बजे एक कॉल आया। रिपोर्ट के अनुसार स्कैमर्स ने ओबेरॉय को ऐसे लोगों से जोड़ा, जिन्होंने खुद को सीबीआई और मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारी बताया। उन्होंने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई), मुंबई साइबर अपराध शाखा और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों का रूप धारण किया।
पुलिस के बयान में कहा गया है कि उन्होंने विवेक ओबेरॉय को यह दावा करके फंसाया कि उनके आधार कार्ड का उपयोग करके कई फर्जी बैंक खाते खोले गए हैं, जिसका उपयोग उन्होंने अनचाहे मार्केटिंग के लिए सिम कार्ड खरीदने के लिए भी किया। साइबर बदमाशों ने ओबेरॉय को स्काइप वीडियो ऐप डाउनलोड करने के लिए कहा और उन्हें एक कमरे में रहने के लिए कहा।
उस दौरान व्यवसायी ने एमपी साइबर पुलिस को सतर्क किया और पुलिस उनके 'डिजिटल अरेस्टिंग' के दौरान उनके घर पहुंच गई। जैसे ही पुलिस मौके पर पहुंची, उन्होंने नकली कानून प्रवर्तन अधिकारियों से पहचान वेरीफिकेशन की मांग की, धोखेबाजों ने वीडियो कॉल काट दिया। विज्ञप्ति में कहा गया है कि ठगों को व्यवसायी की "डिजिटल अरेस्ट" के दौरान उसके बैंक मार्केटिंग मिल गए थे, लेकिन उन्होंने कोई पैसा ट्रांसफर नहीं किया।
डिजिटल अरेस्ट एक प्रकार की ऑनलाइन धोखाधड़ी है, जहां घोटालेबाज पीड़ितों को यह विश्वास दिलाने के लिए कानून प्रवर्तन या सरकारी अधिकारियों का रूप धारण करते हैं कि वे गिरफ़्तार हैं। ये घोटालेबाज अपनी पृष्ठभूमि की अच्छी तरह से जांच करते हैं। वे पीड़ित के सोशल मीडिया की बदौलत जानते हैं कि पीड़ित कहां रहता है, उसके परिवार में कौन-कौन है, वे छुट्टियां मनाने कहाँंजाते हैं, आदि। वे ज़्यादातर बुज़ुर्गों को निशाना बनाते हैं जो अकेले रहते हैं और उन्हें ऑनलाइन लिट्रेसी की उतनी जानकारी नहीं होती।
अभी तक I4C (Indian Cyber Crime Coordination Centre) ने 1000 से ज़्यादा फ़र्जी Skype ID ब्लॉक की हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक ये स्कैमर्स एक बड़े रैकेट का हिस्सा हैं, जिसमें ऐसे भारतीय शामिल हैं जिन्हें काम के बहाने दक्षिण एशियाई देशों में ले जाया गया और अब उनसे यह सब करवाया जाता है। कुछ स्कैमर्स हरियाणा के नूंह और मेवात से भी जुड़े पाए गए हैं।
अगर आपको कोई संदिग्ध कॉल आती है और वे आपसे वीडियो कॉल में शामिल होने के लिए कहते हैं, तो डरें नहीं और उनसे क्रॉस क्वेश्चन करें। उन्हें बताएं कि आप स्थिति को सुलझाने के लिए खुद उनके दफ़्तर जाएंगे और मदद मांगने से कभी न डरें। आप साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 या cybercrime.gov.in पर भी ऐसी कॉल की रिपोर्ट कर सकते हैं।