
बिहार चुनाव के बाद देशभर के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूची पुनरीक्षण ( SIR) का काम चल रहा है। एसआईआर में सबसे ज्यादा काम का प्रेशर बूथ लेवल ऑफिसर्स बीएलओ पर है। अब जिस तरह की खबरें आ रही हैं वह हैरान करने वाली हैं। मध्य प्रदेश में पिछले दिनों दो बीएलओ अधिकारी मौत हो गई। बताया तो यह जा रहा है कि इनकी जान काम के बोझ के कारण हुए तनाव की वजह से गई है। तो वहीं पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में भी बीएलओ ने काम के दबाव में आकर आत्महत्या कर ली।
दरअसल, गुरुवार रात मंडीदीप में एक बीएलओ की हार्ट अटैक से मौत हो गई। जिसकी पहचान रमाकांत पांडे के रुप में की गई है। बताया जाता है कि 10 मिनट पहले पांडे ऑनलाइन मीटिंग में शामिल थे। मीटिंग खत्म होने के दस मिनट बाद उनकी अचानक तबीयत बिगड़ी और वो वॉशरूम में गिर पड़े। उन्हें भोपाल एम्स लाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। परिवार ने आरोप लगाया है कि उनकी जान एसआईआर में बढ़ते दबाव के कारण गई है। पत्नी ने कहा कि उनके ऊपर काम का इतना प्रेशर था कि वह चार रात से नहीं सोए थे। देर रात तक काम, लगातार फोन पर निर्देश और समय-सीमा का दबाव उन्हें परेशान कर रहा था। उन्हें हर समय सस्पेंड होने का डर था।
इसके अलावा मध्य प्रदेश में दूसरी मौत दमोह जिले में हुई है। जहां वोटर लिस्ट सर्वे का करने वाले एक बीएलओ की मौत हो गई। मौत के पीछे का कारण एसआईआर के काम का दबाव बताया जा रहा है। वहीं रायसेन के ही भव्य सिटी में रहने वाले बीएलओ टीचर नारायण दास सोनी लापता बताए जा रहे हैं। वह बिना किसी को बताए घर से निकलने के बाद छह दिनों से लापता हैं। पुलिस और सोनी के परिवार वाले उनकी तलाश कर रहे हैं।
विपक्षी नेता और जानकारों का कहना है कि देशभर में जितने भी बीएलओं की जान गई हैं उसके पीछे की मुख्य वजह डेडलाइन पर काम पूरा न कर पाने का डर, समय पर काम पूरा नहीं हुआ तो सस्पेंड होने का डर, वहीं क्षमता से कई गुना ज़्यादा काम मिल जाना…इन्हीं सबई वजह से दिमाग पर लगातार तनाव बढ़ता है और यही तनाव दिल पर असर डालता है और हार्ट के शिकार हो जाते हैं। वहीं मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि SIR प्रक्रिया के लिए बेहद कम समय दिया गया है, जिससे BLO पर भारी दबाव बढ़ गया है। इसी तनाव के कारण कई बीएलओ को हार्ट अटैक आ रहा है और उनकी मौत हो रही हैं।
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