नागद्वारी मेला: एक ऐसा तीर्थ जहां रास्ता भी लेता है भक्तों की परीक्षा, चलना पड़ता है 17Km पैदल

Published : Jul 21, 2025, 04:21 PM IST
nagdwari mela satpura chhindwara

सार

Naglok Yatra 2025: सतपुड़ा की घाटियों में बसी नागद्वारी यात्रा केवल आस्था नहीं, एक अलौकिक अनुभव है। पचमढ़ी से 17 किमी की ट्रेकिंग, रहस्यमयी जंगल, 100 साल पुरानी परंपरा और श्रद्धालुओं का महासागर। जानिए इस बार का शेड्यूल और खास बातें।

Satpura Naglok Temple: मध्य प्रदेश के हृदय में बसा सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, हर साल जुलाई में एक दिव्य और रहस्यमयी यात्रा का साक्षी बनता है। यह यात्रा है नागलोक की, जो श्रद्धा, साहस और रहस्य का अद्भुत संगम है। पचमढ़ी से शुरू होकर नागद्वारी मंदिर तक पहुंचने वाली यह 17 किलोमीटर की पैदल यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।

Pachmarhi to Naglok: 100 साल पुरानी आस्था की परंपरा

यह यात्रा 100 वर्षों से भी पुरानी परंपरा को जीवित रखती है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि नागलोक में नागदेवता के दर्शन मात्र से ही सारी बीमारियां दूर हो जाती हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहां पहुंचने के लिए भक्त पहले पचमढ़ी बस स्टैंड से गणेशगिरि तक वाहन से जाते हैं और फिर शुरू होती है 10+ किमी की कठिन ट्रेकिंग, जो कालाझाड़, पद्मशेष, चित्रशाला माता, गुप्तगंगा जैसे पड़ावों से गुजरती है।

 

 

हर कदम पर रोमांच और तप का एहसास

घने जंगल, बदलते मौसम और कभी-कभी रास्ता ही ग़ायब हो जाना – यह सब नागद्वारी यात्रा का हिस्सा है। बादलों से ढकी ऊंची चोटियाँ, सर्पीली चढ़ाइयाँ और "हर हर महादेव" के जयकारों से गूंजती घाटियाँ एक अलौकिक अनुभूति कराती हैं। यहां हर भक्त की परीक्षा होती है – शरीर की भी और आत्मा की भी।

सेवा का भाव: कोरकू जनजाति की महत्वपूर्ण भूमिका

इस यात्रा को संभव बनाते हैं छिंदवाड़ा और नर्मदापुरम के कोरकू आदिवासी, जो भारी सामान उठाने से लेकर भोजन और रात्रि विश्राम की व्यवस्था तक निस्वार्थ सेवा करते हैं। साथ ही महाराष्ट्र के कई मंडल यात्रा मार्ग में चाय, खाना और विश्राम स्थल की सेवा में जुटते हैं।

 

 

श्रद्धा से पर्यटन तक का सफर

अब नागद्वारी यात्रा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं रही। यह आध्यात्म, साहस और प्रकृति प्रेम से भरा ऐसा अनुभव बन गई है जो पर्यटकों, व्लॉगर्स और ट्रेकिंग लवर्स को भी आकर्षित कर रही है। इस साल 5 लाख से अधिक लोगों के आने की उम्मीद है।

साल में केवल 10 दिन खुलता है नागलोक का रास्ता

2025 में यह यात्रा 19 जुलाई से 29 जुलाई तक आयोजित की जा रही है। मान्यता है कि इस अवधि के बाहर नागलोक का द्वार अपने आप बंद हो जाता है। यही कारण है कि इसे भारत की सबसे रहस्यमयी धार्मिक यात्राओं में से एक माना जाता है।

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