नेहरू के ज़माने की रोल्स रॉयस विवाद में शाही तलाक, 2.25 करोड़ मुआवज़े का आदेश

Published : Sep 07, 2025, 11:15 AM IST
supreme court

सार

Scindia Royal Divorce: ग्वालियर के सिंधिया और इंदौर के राजघराने की शादी तलाक में खत्म हो गई, जिसका कारण नेहरू के ज़माने की एक रोल्स रॉयस कार है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुलझाते हुए 2.25 करोड़ रुपये मुआवज़े का आदेश दिया है।

Indore Royal Family Dispute: एक शाही शादी का अंत तलाक में हुआ, जिसकी वजह नेहरू के ज़माने की एक रोल्स रॉयस कार बनी। सुनकर हैरानी होगी, लेकिन ये सच है। ग्वालियर के सिंधिया राजघराने की सरदार की पोती कात्यायनी अंग्रे और इंदौर राजघराने के अर्जुन सिंह काक की शादी हुई थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस शादी को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि दोनों के बीच हुए समझौते के मुताबिक, अर्जुन सिंह काक, कात्यायनी को 2.25 करोड़ रुपये मुआवज़ा देंगे। सिंधिया राजघराने के तुल्जीराव अंग्रे की बेटी कात्यायनी और इंदौर राजघराने के रिटायर्ड कर्नल अनिल काक और मंगेश काक के बेटे अर्जुन काक की शादी अप्रैल 2018 में उत्तराखंड के ऋषिकेश में हुई थी। अंग्रे और काक परिवारों की दौलत और रुतबे को देखते हुए, इस शादी को दो ताकतवर राजघरानों के मिलन के रूप में देखा गया था। लेकिन, एक साल के अंदर ही, उनके रिश्ते में दरार आ गई।

नवंबर 2019 में, अर्जुन काक ने ग्वालियर के विश्वविद्यालय पुलिस स्टेशन में फर्जी शादी का सर्टिफिकेट बनाने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई। उन्होंने एफआईआर में कहा कि ग्वालियर के नगर निगम ने गैरकानूनी तरीके से शादी का सर्टिफिकेट जारी किया, जिसमें झूठा दावा किया गया कि ऋषिकेश में शादी के दिन ही ग्वालियर में भी शादी हुई थी। अर्जुन की एफआईआर पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई हुई और मार्च 2023 में हाईकोर्ट ने इसे फर्जी सर्टिफिकेट करार दिया और इसे रद्द कर दिया, यह कहते हुए कि इसे एक अयोग्य अधिकारी ने जारी किया था। हाईकोर्ट के फैसले ने अर्जुन के इस दावे को सही साबित किया कि इस मामले में फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया था।

इसके बाद, मार्च 2021 में, कात्यायनी अंग्रे ने दहेज निषेध अधिनियम के तहत ग्वालियर के महिला पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि अर्जुन और उनके परिवार ने मुंबई में एक रोल्स रॉयस लग्जरी कार और एक फ्लैट की मांग की थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने बाद में गौर किया कि कात्यायनी ने यह शिकायत अर्जुन द्वारा पहले दर्ज कराए गए धोखाधड़ी के मामले के जवाब में दर्ज कराई थी। शादी के कुछ ही महीनों बाद कात्यायनी ने तलाक की अर्जी दी थी। लेकिन कोर्ट ने गौर किया कि दो साल बाद दहेज की शिकायत दर्ज कराई गई, जिससे इसके मकसद पर सवाल उठते हैं। बताया जाता है कि कात्यायनी की शिकायत में जिस रोल्स रॉयस कार का ज़िक्र है, उसे 1951 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बड़ौदा की महारानी के लिए मंगवाया था।

उनके मुताबिक, रोल्स रॉयस कार एच.जे. मुल्लिनर एंड कंपनी द्वारा हाथ से बनाया गया एक दुर्लभ मॉडल था, जिसे महारानी चिम्ना बाई साहिब गायकवाड़ के लिए जवाहरलाल नेहरू ने ऑर्डर किया था और अपने परिवार को उपहार में दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके ससुर और पति ने कार के प्रति अपना आकर्षण खुलकर दिखाया और इसे उपहार के रूप में पाने की उम्मीद की, और जब यह मांग पूरी नहीं हुई, तो उन्हें ससुराल में प्रवेश करने से रोक दिया गया और उनका अपमान किया गया।

लेकिन पति अर्जुन ने इन सभी आरोपों से इनकार किया। उन्होंने कहा कि 20 अप्रैल, 2018 को ऋषिकेश में हुई शादी उनके परिवार के गुरु की सलाह पर ज्योतिषीय कारणों से की गई एक सांकेतिक रस्म थी। एक जोड़े के रूप में वे कभी साथ नहीं रहे, शादी कभी पूरी नहीं हुई, और ग्वालियर में मिला शादी का रजिस्ट्रेशन फर्जी है। उन्होंने आरोप लगाया कि शादी का सर्टिफिकेट बनाने में पत्नी और उनके रिश्तेदारों ने धोखाधड़ी की है। अर्जुन ने कहा कि उन्होंने कभी रोल्स रॉयस या मुंबई के फ्लैट की मांग नहीं की। इससे पहले हुई बातचीत के दौरान, अर्जुन 1.5 लाख रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने को तैयार हो गए थे। लेकिन, कात्यायनी ने संपत्ति में हिस्सेदारी के साथ 36 करोड़ रुपये के स्थायी समझौते पर ज़ोर दिया। उम्मीदों में इतना बड़ा अंतर होने के कारण बातचीत टूट गई।

लेकिन अब यह मामला आखिरकार सुप्रीम कोर्ट में दोनों की सहमति से सुलझ गया है, जिसमें अर्जुन, कात्यायनी को 2.25 करोड़ रुपये देकर इस मामले को हमेशा के लिए खत्म करेंगे। सालों तक चले लंबे मुकदमे के बाद, दोनों पक्ष आखिरकार समझौते पर राजी हो गए। 29 अगस्त, 2025 को, सुप्रीम कोर्ट ने समझौते की शर्तों को अंतिम रूप दिया, जिसमें अर्जुन को कात्यायनी को 2.25 करोड़ रुपये मुआवज़ा देने का आदेश दिया गया, जिसका भुगतान नवंबर 2025 तक किया जाना है। इस फैसले से दोनों परिवारों को राहत मिली। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को खत्म कर दिया, जो फर्जी दस्तावेज, दहेज उत्पीड़न और तलाक की अर्जियों सहित कई कानूनी मामलों में बदल गया था।

 

 

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