मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में एक पिता मजबूर होकर टॉवर पर चढ़ गया। वह पूरी रातभर टॉवर चढ़ा रहा। वजह थी बेटी की मौत के बाद पुलिस और डॉक्टरों ने जो लापरवाही की थी। इंसाफ और कार्रवाई की मांग के लिए उसे ऐसा कदम उठाना पड़ा।
सीहोर. मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में एक बेबस पिता ने पुलिस और प्रशासन से अपनी डिमांड पूरी करने के लिए अलग ही तरीका अपनाया। वह बारिश के मौसम में पूरी रात टावर पर चढ़ा रहा। सुबह 8 बजे जब लोगों ने देखा तो पुलिस को सूचना दी गई। युवक नीचे उतरने को तैयार नहीं था। लेकिन बाद में प्रशासन के आश्वासन बाद उसे गांव के लोगों ने टॉवर से उतरा। बता दें कि युवक के बेटी की मौत स्कूल में हो गई थी, लेकिन पुलिस इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं रही थी। बस इसी मांग के लिए और इंसाफ दिलाने के लिए उसे ऐसा करना पड़ा।
पूरी रात युवक टॉवर पर ही चढ़ा रहा
दरअसल, यह मामला सीहोर जिले के समलिया गांव की है। जहां 30 साल का मुकेश मेवाड़ा नाम का युवक सोमवार देर रात करीब 2 बजे टॉवर पर चढ़ा था। जब ग्रामीणों ने देखा तो उसे काफी समझा-बुझाया,लेकिन वह नीचे उतरने को तैयार नहीं हुआ। बताया जाता है कि युवक ने अपना वीडियो खुद बनाकार पुलिस को भी भेजा था। ताकि पुलिस को इस बारे में पता लग सके।
डॉक्टरों ने भी पिता की बेबसी नहीं सुनी
पीड़ित पिता मुकेश मेवाड़ा ने बताया कि शनिवार सुबह उनकी 7 साल की बेटी परी मेवाड़ा स्कूल गई थी। जो कि दूसरी क्लास में पढ़ती थी। लेकिन मिड डे मील खाने के बाद उसे उल्टियां होने लगीं और उसकी तबीयत बिगड़ गई। वह 3 बजे छुट्टी होने पर घर आई, लेकिन तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी। मैं उसे लेकर अस्पताल पहुंचा, लेकिन इलाज के दौरन उसकी मौत हो गई। बिना पोस्टमॉर्टम किए बिना हॉस्पिटल वालों ने शव परिजनों को सौंप दिया। मैं डॉक्टर गौरव ताम्रकार के सामने पीएम के लिए गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन वह बोले कि तुम शव ले जाओ हमने। जब दूसरे दिन अस्पताल पहुंचा तो उन्होंने रिपोर्ट्स ही नहीं दी।
जानिए के बेबस पिता आधी रात को बारिश में क्यों टॉवर पर चढ़ा
पीड़ित पिता मुकेश का कहना है कि पीएम होता तो हमें बेटी की मौत का कारण पता चलता। लेकिन डॉक्टरों ने हमारी एक नहीं सुनी। डॉक्टर अगर लापरवाही से इलाज नहीं करते तो आज उनकी बेटी जिंदा होती। जब पुलिस के पास पहुंचा तो उन्होंने भी कोई शिकायत नहीं लिखी। जब कहीं इंसाफ नहीं मिला तो मैं टॉवर पर चढ़ गया। ताकि अस्पताल पर कार्रवाई और स्कूल व्यवस्थाएं सुधर जाएं।