CM शिवराज ने क्यों बुधनी में पूछा, चुनाव लड़ूं या नहीं, मैं चला जाऊंगा तो याद आऊंगा तुम्हें...

मध्य प्रदेश में कभी भी चुनावों की तारीखों का ऐलान हो सकता है। इसी बीच सीएम शिवराज सिंह चौहान अपने गृह जिले सीहोर पहुंचे। यहां पर सीएम ने जनता से पूछा कि मैं चुनाव लडूं कि नहीं लड़ूं। इसके बाद कहा यहां से चुनाव लडूं या ना लड़ूं।

सीहोर. मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मोदी सरकार ने सांसद से लेकर केंद्रियों मंत्रियों को विधायक का टिकट देकर साफ कर दिया है कि हर हाल में एक बार फिर सरकार बनानी है। वहीं प्रदेश की सिसायत में चर्चा होने लगी है कि सीएम शिवराज का नाम अभी तक किसी भी सूची में नहीं आया है, क्या वह चुनाव नहीं लडेंगे। लेकिन सीएम शिवराज ने अपनी एक चुनावी सभा में जनता से पूछा कि चुनाव लड़ूं या नहीं। अब इस बयान के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

''मैं चुनाव लडूं कि नहीं लड़ूं...

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दरअसल, सीएम शिवराज सिंह चौहान रोजाना दो से तीन जिलों का दौरा कर अपनी योजनाओं का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। साथ ही बीजेपी की सरकार बनाने के लिए वोट मांग रहे हैं। इसी बीच सीएम शिवराज मंगलवार को अपने गृह जिले सीहोर पहुंचे। यहां पर सबसे पहले मुख्यमंत्री ने पातालेश्वर मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए भूमिपूजन किया। फिर एक जनसभा को संबोंधित किया। अपने भाषण के दौरान सीएम ने जनता से पूछा कि मैं चुनाव लडूं कि नहीं लड़ूं। इसके बाद कहा यहां से चुनाव लडूं या ना लड़ूं। सीएम के सवाल का जनता ने ताली बजाकर और नारे लगाकर जबाव दिया।

सीएम शिवराज बोले-मैं चला जाऊंगा तब याद आऊंगा

वहीं सीएम ने तीन दिन पहले सीहोर में ही आयोजित एक चुनावी सभा में कहा था, बहनों आपको ऐसा भैया नहीं मिलेगा। जब मैं चला जाऊंगा तब याद आऊंगा तुम्हें।' आगे सीएम ने कहा-मेरे लिए राजनीति का मतलब जनता की सेवा है। मैं सरकार थोड़ी चलाता हूं। मैं परिवार चलाता हूं...परिवार। आप सब मेरे परिवार है।

कमलनाथ ने कहा-मुख्यमंत्री जी की विडंबना तो देखिए अपनी विदाई के समारोह रख रहे...

वहीं कांग्रेस और राज्य के पूर्व सीएम कमलनाथ ने शिवराज सिंह के बयान पर ट्वीट करते हुए कहा-मप्र के मुख्यमंत्री जी की विडंबना तो देखिए कि अब वो मंचों से अपने जाने की बात ख़ुद ही करने लगे हैं। ये भाजपाई राजनीति का अजब दौर है, जब ख़ुद ही वो अपना विदाई समारोह आयोजित कर रहे हैं, ख़ुद ही विदाई भाषण पढ़ रहे हैं लेकिन एक विशेष विरोधाभास ये है कि विदाई की इस बेला में जनता की आँख में आँसू नहीं हैं बल्कि भाजपा सरकार के जाने की और कांग्रेस सरकार के आने की ख़ुशी में जनता के चेहरों पर मुस्कान है।

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