पुलिस ने रेड डालकर Sex Worker को पकड़ा था, कोर्ट ने छोड़ दिया, जज साब ने किया क्लियर कि इसे कब क्राइम माना जाएगा

यहां की सेशन कोर्ट ने एक मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द कर दिया और शेल्टर होम भेजी गई 34 वर्षीय महिला सेक्स वर्कर को रिहा करने का निर्देश दिया। नियम के अनुसार, सेक्स वर्क को क्राइम तब कहा जा सकता है, जब कोई पब्लिक प्लेस पर ये कार्य करता है। 

Amitabh Budholiya | Published : May 23, 2023 7:38 AM IST / Updated: May 23 2023, 02:09 PM IST

19

मुंबई. यहां की सेशन कोर्ट ने एक मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द कर दिया और शेल्टर होम भेजी गई 34 वर्षीय महिला सेक्स वर्कर को रिहा करने का निर्देश दिया। नियम के अनुसार, सेक्स वर्क को क्राइम तब कहा जा सकता है, जब कोई पब्लिक प्लेस पर ये कार्य करता है, जिससे दूसरों को परेशानी होती है। इस साल 15 मार्च को मजिस्ट्रेट की कोर्ट द्वारा केयर, प्रोटेक्शन और शेल्टर के लिए मुंबई के एक शेल्टर होम में एक साल तक हिरासत में रखने का निर्देश देने के बाद सेक्स वर्कर ने सेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। (साथ में देखिए मुंबई की बदनाम गलियों की तस्वीरें)

29

एडिशनल सेशन जज सीवी पाटिल ने पिछले महीने मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया। लेकिन डिटेल्ड ऑर्डर हाल ही में उपलब्ध कराया गया है। उपनगरीय मुलुंड में एक देह व्यापार के अड्डे पर छापे के बाद महिला को फरवरी में हिरासत में लिया गया था।

39

सेक्स वर्कर के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। उसे दो अन्य लोगों के साथ मझगांव में एक मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया गया। मेडिकल रिपोर्ट के अवलोकन के बाद मजिस्ट्रेट ने पाया कि वह एक बालिग थी और उसे आदेश की तारीख से देखभाल, सुरक्षा और आश्रय के लिए एक वर्ष के लिए नवजीवन महिला वस्तिगृह, देवनार भेज दिया गया था।

49

हालांकि सेशन कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में महिला ने किसी भी अनैतिक गतिविधि में शामिल होने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मजिस्ट्रेट ने केवल इसी तरह के अपराध में शामिल होने के आधार पर पीड़िता को हिरासत में लिया है।

59

कोर्ट ने कहा कि आदेश को केवल इस आधार पर चुनौती दी जा रही है कि पीड़िता पहले भी इसी तरह के कृत्य में लिप्त पाई गई थी, लेकिन पीड़िता बालिग है। उसे काम करने का अधिकार है।

69

सेशन कोर्ट ने कहा, 'नियम के मुताबिक, सेक्स वर्क में शामिल होना अपने आप में अपराध नहीं है, बल्कि पब्लिक प्लेस पर सेक्स वर्क करना अपराध कहा जा सकता है। इससे लोगों में गुस्सा पैदा होता है।'

79

जज ने यह भी कहा कि यह नोट किया गया कि ऐसा कोई आरोप नहीं था कि महिला सार्वजनिक रूप से सेक्स कार्य में लिप्त थी। सेशन जज ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में केवल एक ही काम के आधार पर पीड़ित को हिरासत में रखना उचित नहीं है।

89

कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के दो बच्चे हैं, उन्हें निश्चित रूप से अपनी मां की जरूरत है। अगर पीड़िता को उसकी इच्छा के खिलाफ हिरासत में लिया जाता है, तो यह निश्चित रूप से पूरे भारत में स्वतंत्र रूप से घूमने के उसके अधिकार को कम कर देता है।

यह भी पढ़ें-लो जी बिहार में मिल गया उर्फी जावेद का भाई, अखबार की ड्रेस पहनकर सड़कों पर ठुमके लगाते निकला 'बिग फैन'

99

कोर्ट न कहा-इसलिए कानूनी स्थिति, पीड़िता की बड़ी उम्र को देखते हुए मजिस्ट्रेट अदालत के 15 मार्च के आदेश को रद्द करने की जरूरत है और पीड़िता को रिहा करने की जरूरत है। (File Photos-gettyimages)

यह भी पढ़ें-कंडोम लेकर बैठी थीं अलग-अलग शहरों की 6 लड़कियां, जैसे ही पुलिस पहुंची, जानिए फिर क्या हुआ

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos