500 साल बाद अयोध्या में विराजेंगे राम, देशभर में जैन समाज भी मनाएगा दीपावली

22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान जैन समाज भी दीपावली मनाएगा। चूंकि जैन धर्म भी मर्यादा पुरषोत्तम राम को सिद्ध पुरुष मानता है। इसलिए देशभर के जैन समाजजन इस दिन अपने घर आंगन सजाएंगे।

मुंबई. अयोध्या राम मंदिर में 22 जनवरी को भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह होने जा रहा है। इस दिन देशभर में दिवाली मनेगी। जिसमें जैन समाज भी शामिल हो रहा है। जैन समाज के विभिन्न संगठनों ने तय कर लिया है कि इस दिन घर में रांगोली सजाएंगे, घर घर दीपक और घरों पर विद्युत साज सज्जा करेंगे। भगवान राम को मिठाईयों का भोग लगाकर आरती और आतिशबाजी करेंगे। क्योंकि इस दिन राम अपने भव्य दरबार में विराजेंगे।

500 साल बाद मंदिर में विराजेंगे राम

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आपको बतादें कि करीब 500 साल बाद भगवान राम भव्य मंदिर में विराजने जा रहे हैं। इस कारण देशभर के लिए ये सबसे बड़ा दिन होगा। जिसके चलते उत्तरप्रदेश सहित कई राज्यों में छुट्टी घोषित कर दी गई है। ताकि बच्चे से लेकर बड़े तक इस दिन को भव्य तरीके से मना सकें। वैसे तो भगवान राम को चौदह वर्ष का वनवास हुआ था किन्तु अयोध्या को करीब 496 वर्ष का वनवास झेलना पड़ा। लेकिन अब वो घड़ी दूर नहीं जब अयोध्या में राम विराजेंगे।

भगवान राम को माना सिद्ध पुरुष

जैन धर्म में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को सिद्ध पुरुष माना है। शत्रुंजय गिरिराज जो सिद्धक्षेत्र है और जैनों के लिए पूरे ब्रह्मांड में सबसे ज्यादा पवित्र महातीर्थ है। वहां भी सिद्ध पुरुष श्रीराम की प्रतिमा है और हर साल लाखों जैन प्रभु राम के दर्शन का लाभ लेते है। अयोध्या की पवित्र भूमि में बैठकर जैन धर्म के प्राचार्यों ने कई शास्त्र, सूत्र रचे हैं। अयोध्या नगरी का जैन धर्म के लिए भी विशेष स्थान है। यहां विभिन्न तीर्थंकरों के जीवन से संबंधित 18 कल्याणक घटित हुए हैं| अयोध्या नगरी को वर्तमान चौबीसी के पांच -पांच तीर्थंकर (आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनंद नाथ, सुमतिनाथ एवं अनंतनाथ ) की जन्मस्थली होने का गौरव प्राप्त है| भगवान श्री आदिनाथ (श्री ऋषभदेव) का वर्णन ऋग्वेद, अथर्ववेद, मनुस्मृति, और भागवत अदि ग्रंथो में व्यवस्थित वर्णन है।

राम जन्म भूमि के लिए कई जैन शहीद

राम जन्मभूमि के लिए जैनों ने भी बलिदान दिया है। राजस्थान के भीलवाड़ा निवासी सुरेश जैन 12 मार्च 1991 को रैली में शामिल थे। इस दौरान पुलिस ने कार सेवकों को तितर बितर करने के लिए गोलियां चलाई थी। जिसमें उन्हें भी गोली लगी थी। इस दौरान शाहपुरा जिले के खामोर निवासी रतन लाल सेन भी उनके साथ शहीद हुए थे। राम कुमार कोठारी और शरद कुमार कोठारी सगे भाई थे, जो अक्टूबर 1990 में कार सेवा में भाग लेने के लिए अयोध्या आए थे, कोलकाता के निवासी कोठारी बंधुओं के अलावा उनके मां-बाप की और कोई संतान नहीं थी।

राम मंदिर केस में नहीं ली फीस

राम मंदिर केस लड़ने के लिए जैन एडवोकेट ने फीस के रूप में एक रुपया भी नहीं लिया था। वकील पिता और बेटे की इस जोड़ी ने सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष को राम जन्मभूमि केस में जीत दिलाई, जिसके बाद मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया। पिता हरि शंकर जैन और बेटा विष्णु शंकर जैन राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद, काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद और कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह में हिंदू पक्ष की ओर से पैरोकार हैं।

15 लाख जैन मनाएंगे दिवाली

श्री मुंबई जैन संघ संगठन मुंबई 1150 संघ और करीब 15 लाख जैनों का प्रतिनिधित्व कर रहा है। इस पवित्र प्रसंग को लेकर 22 तारीख को प्रत्येक जैन को घर घर में दीप जलाने का, रंगोली सजाने का, दुकान,ऑफिस के द्वार पर तोरण लगाने का, भोजन में शगुन का प्रतीक लापसी ,मिठाइयों का आहार ग्रहण करने का मार्गदर्शन भी जारी किया है। श्री मुंबई जैन संघ संगठन के पदाधिकारिओं भी सीनियर सिटिज़न्स के साथ 22 तारीख को मुंबई में नारिमान पॉइंट से लेकर मरीन लाइंस तक श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा की खुशिओं को जरूरतमंद को मिठाइयां वितरित करेंगे।

76 बार हुआ संघर्ष, चार लाख लोगों ने दिया बलिदान

राम जन्म भूमि के लिए पिछले 500 सालों में करीब 76 बार संघर्ष हुआ है। जिसमें चार लाख से अधिक हिंदुओं ने बलिदान दिया है। इस कारण अयोध्या में रामलला मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव उस दिन से कम नहीं है जिस दिन भगवान राम वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे।

 

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