छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ पर लंदन से लाया जा रहा बाघनख, जानिए क्यों तीन साल के लिए ही मिला

Published : Oct 01, 2023, 09:42 PM IST
Chhatrapati Shivaji

सार

नवम्बर में लंदन से इस बाघनख को वापस महाराष्ट्र लाया जाएगा। हालांकि, कई इतिहासकार-पुरातत्वविद् व विपक्षी दलों ने बाघनख की वास्तविकता पर सवाल उठाया है।

Chhatrapati Shivaji Wagh nakh: छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रसिद्ध बाघनख भारत लाने की तैयारी चल रही है। लंदन के एक म्यूजियम से इसे वापस महाराष्ट्र लाया जाना है। शिवाजी महाराज ने इस बाघनख का इस्तेमाल साल 1659 में बीजापुर सल्तनत के जनरल अफजल खान को हराने के लिए किया था। अफजल खान ने जब छत्रपति के पीठ पर वार किया था तो उन्होंने बाघनख से उसे मार डाला था। नवम्बर में लंदन से इस बाघनख को वापस महाराष्ट्र लाया जाएगा। हालांकि, कई इतिहासकार-पुरातत्वविद् व विपक्षी दलों ने बाघनख की वास्तविकता पर सवाल उठाया है।

छत्रपति शिवाजी के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ

यह साल छत्रपति शिवाजी के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर बाघ नख को लंदन से भारत लाया जाएगा। शिवाजी महाराज का बाघनख लंदन के विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय में रखा है। यह बाघनख तीन साल के लिए यहां लाया जाएगा।

तीन साल सुरक्षित रखने के लिए महाराष्ट्र सरकार करेगी एमओयू साइन

महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार बाघनख की वापसी के लिए म्यूजियम प्रबंधन के साथ एमओयू साइन करेंगे। मंगलवार को लंदन में दोनों तरफ के जिम्मेदार समझौता पर हस्ताक्षर करेंगे। इसके बाद लंदन से तीन साल के लिए बाघनख लाया जाएगा। बताया जा रहा कि बाघ नख को दक्षिण मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज संग्रहालय में रखा जाएगा।

दरअसल, 1659 में प्रतापगढ़ की लड़ाई में मराठों की जीत छत्रपति शिवाजी के मराठा साम्राज्य की स्थापना के अभियान में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी। संख्या में कम होने के बावजूद मराठों ने अफ़ज़ल खान के नेतृत्व वाली आदिलशाही सेना को हरा दिया था। इस जीत के बाद एक शानदार सैन्य रणनीतिकार के रूप में छत्रपति शिवाजी की प्रतिष्ठा बढ़ गई। लोककथाओं के अनुसार छत्रपति शिवाजी ने महाराष्ट्र के वर्तमान सतारा जिले में प्रतापगढ़ किले की तलहटी में अफ़ज़ल खान को मार डाला।

मंत्री मुनगंटीवार ने कहा कि जब अफजल खान ने बैठक के दौरान शिवाजी महाराज की पीठ में छुरा घोंप दिया तो शिवाजी महाराज ने क्रूर अफजल खान को मारने के लिए 'बाघ नख' का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा कि बाघ नख हमारे लिए प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत है। इस वर्ष शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ भी है।

बाघनख की प्रमाणिकता पर बहस

हालांकि, शिवाजी महाराज के बाघनख की प्रमाणिकता पर बहस चल रही है। इतिहास विशेषज्ञ इंद्रजीत सावंत ने बताया है कि विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय की वेबसाइट बताती है कि छत्रपति शिवाजी ने हथियार का इस्तेमाल नहीं किया था। शिव सेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने भी 'बाघ नख' की प्रामाणिकता पर सवाल उठाया है।

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