मुंबई। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को महाराष्ट्र में झटका लगा था। राज्य की 48 सीटों में से भाजपा 13 सीटें ही जीत सकी। 2019 में उसे 28 सीटों पर जीत मिली थी। लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद भाजपा ने अपनी रणनीति ठीक की। विधानसभा में इसका असर दिखा। पार्टी ने जीत का इतिहास रचा।
भाजपा ने व्यापक सुधार के लिए काम किया। राज्य सरकार ने महिलाओं, आदिवासियों और अन्य वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं शुरू की। उम्मीदवारों पर अधिक ध्यान दिया गया। चुनावी अभियान को जमीनी स्तर पर चलाया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ मतभेदों को दूर किया गया। इन सभी बातों ने भाजपा के लिए बड़ी जीत की जमीन तैयार की।
भाजपा गठबंधन की जीत में 'लड़की बहन' योजना की बड़ी भूमिका है। इस योजना के तहत राज्य सरकार ने महिलाओं को प्रति माह 1,500 रुपए दिए। इसके साथ ही सत्ता में आने पर इसे बढ़ाकर 2,100 रुपए करने का वादा किया था।
चुनाव में अन्य पिछड़ी जातियां एकजुट हुईं। भाजपा ने ओबीसी के विभिन्न जाति समूहों तक पहुंचने की बहुत कोशिश की। समझाया कि उनके अधिकारों की रक्षा की जाएगी। कांग्रेस ने झूठ फैलाया है कि आरक्षण खत्म करने के लिए संविधान में बदलाव किया जाएगा। उत्तर महाराष्ट्र के प्याज किसानों और विदर्भ के कपास और सोयाबीन किसानों को राहत दी गई। कर्ज माफी के वादे ने नाराज किसानों को वापस भाजपा के पाले में ला दिया।
चुनवा प्रचार के बीच भाजपा ने संकेत दिया कि मुख्यमंत्री पद का सवाल खुला रहेगा। इससे पार्टी को विदर्भ में देवेंद्र फडणवीस की लोकप्रियता को बढ़ाने में मदद मिली। भाजपा कई बागी नेताओं को मनाने में भी कामयाब रही। दूसरी ओर विपक्षी दलों के गठबंधन एमवीए ऐसा नहीं कर पाई। उसे नुकसान उठाना पड़ा।
महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं। भाजपा, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीपी (अजीत पवार) के बीच गठबंधन है। भाजपा को 132, शिवसेना को 57 और एनसीपी को 41 सीटों पर जीत मिली है। तीनों पार्टियों ने मिलकर 230 सीटें जीत ली। बहुमत के लिए 145 सीटों की जरूरत थी।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों के गठबंधन MVA (महा विकास अघाड़ी) का प्रदर्शन बहुत खराब रहा। शिवसेना (उद्धव ठाकरे) को 20, कांग्रेस को 16 और एनसीपी (शरद पवार) को 10 सीटों पर जीत मिली है।