महाराष्ट्र के नांदेड़ के सरकारी हॉस्पिटल में 72 घंटे में 31 मरीजों की मौत के मामले में एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की सरकार प्राइवेट हॉस्पिटलों पर ठीकरा फोड़ने की तैयारी में है।
मुंबई। महाराष्ट्र के नांदेड़ के सरकारी हॉस्पिटल में 72 घंटे में 31 मरीजों की मौत के मामले में राज्य सरकार प्राइवेट अस्पतालों पर ठीकरा फोड़ने की तैयारी में है। इस मामले में सीएम एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की सरकार सवालों के घेरे में है। ऐसी जानकारी मिली है कि शिंदे सरकार मौतों के चलते इलाके के निजी अस्पतालों को जिम्मेदार बताने की तैयारी में है।
सरकार का कहना है कि लंबी छुट्टियों के चलते इलाके के निजी अस्पताल बंद थे, जिसके चलते बड़ी संख्या में गंभीर स्थिति वाले मरीज सरकारी अस्पताल पहुंचे। इसके चलते मृतकों की संख्या बढ़ी। 72 घंटे में 31 मरीजों की मौत के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एकनाथ शिंदे सरकार को नोटिस दिया है और विस्तार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि सरकारी अस्पताल में दवा, बेड, स्टाफ और अन्य सुविधाओं की कमी स्वीकार्य नहीं है।
निजी अस्पतालों ने गंभीर स्थिति वाले मरीजों को सरकारी अस्पताल रेफर किया
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र सरकार कोर्ट को बता सकती है कि नांदेड़ में डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पास के निजी अस्पतालों में लगातार छुट्टियों के कारण कम कर्मचारी थे। निजी अस्पतालों ने गंभीर मामलों (जिनमें से कई नवजात शिशु थे) को सरकारी अस्पताल रेफर कर दिया। इससे नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में मृतकों की संख्या बढ़ गई। राज्य सरकार अपने हलफनामे में यह कह सकती है कि नांदेड़ अस्पताल में कम से कम 10 नवजात शिशुओं की मौत के लिए निजी स्वास्थ्य इकाइयां जिम्मेदार हैं।
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री हसन मशरिफ ने कहा है कि जिन नवजात शिशुओं की मौत हुई उनमें से दस को निजी अस्पतालों से सरकारी अस्पताल में लाया गया था। उनकी स्थिति बहुत गंभीर थी। राज्य सरकार ने एक समिति बनाई है। प्रत्येक मौत का ऑडिट कराया है। हम इन सभी मामलों को कोर्ट के सामने रखेंगे।
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31 मौतों से नांदेड़ अस्पताल में पसरा था मातम
बता दें कि तीन अक्टूबर को महाराष्ट्र के नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में 24 घंटे में 31 लोगों की मौत होने का मामला सामने आया था। एक साथ इतनी अधिक मौतें होने से हॉस्पिटल में मातम पसर गया था। ऐसी जानकारी आई थी कि दवाओं की कमी और स्वास्थ्य सुविधाएं ठीक नहीं होने के चलते इतनी अधिक मौतें हुईं।
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