कल्याण के टिटवाला में आवारा कुत्तों के झुंड ने एक बुजुर्ग महिला पर हमला कर दिया। महिला गंभीर रूप से घायल हुई और उसे इलाज के लिए जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है। जानें आवारा कुत्तों के हमले से बचने के उपाय क्या हैं।
मुंबई। महाराष्ट्र के कल्याण क्षेत्र के टिटवाला स्थित रीजेंसी कॉम्प्लेक्स में शुक्रवार को एक दिल दहला देने वाली घटना हुई। आवारा कुत्तों के झुंड ने एक 68 वर्षीय बुजुर्ग महिला पर जानलेवा हमला कर दिया। कुत्तों ने महिला को करीब 50 मीटर तक सड़क पर घसीटा और कई बार काटा। इस घटना से महिला गंभीर रूप से घायल हो गई।
घटना को इमारत में लगे सीसीटीवी कैमरों में रिकॉर्ड किया गया है। फुटेज में दिख रहा है कि कुत्तों ने महिला को घेर लिया और उस पर हमला किया। वह बचने की कोशिश कर रही थी, लेकिन कुत्ते लगातार उसे खींचते और काटते रहे। करीब दो मिनट बाद इमारत के सुरक्षा गार्ड ने दौड़कर कुत्तों को भगाकर महिला को बचाया।
महिला को पहले गोवेली प्राथमिक अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे उल्हासनगर के सेंट्रल अस्पताल भेजा गया। बाद में महिला को कलवा के छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल और फिर मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों ने बताया कि महिला के सिर पर गंभीर चोटें हैं और उसके हाथ-पैर भी बुरी तरह से घायल हैं।
कल्याण तालुका पुलिस मामले की जांच कर रही है। पुलिस ने बताया कि महिला की पहचान अभी तक नहीं हो सकी है। वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सुरेश कदम ने कहा कि महिला की हालत इतनी गंभीर है कि वह कुछ भी बताने में असमर्थ है। जिसकी वजह से पहचान करने में दिक्कत आ रही है। घटना की जांच कर रही कल्याण तालुका पुलिस को संदेह है कि महिला कोई भिखारी हो सकती है। वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सुरेश कदम ने कहा, "महिला अभी भी अपनी गंभीर हालत के कारण अपने बारे में कुछ नहीं बता पा रही है, लेकिन हम उसके रिश्तेदारों के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।"
विशेषज्ञों का मानना है कि आवारा कुत्तों की नसबंदी इस समस्या का सबसे अच्छा समाधान है। टिटवाला और आसपास के क्षेत्रों में नसबंदी कार्यक्रम की कमी के कारण कुत्तों की आबादी बढ़ रही है। इससे भोजन के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और वे आक्रामक हो जाते हैं।
डॉ. नंदिनी कुलकर्णी के अनुसारि अगर कुत्तों को नियमित रूप से भोजन न मिले और नसबंदी के उचित कार्यक्रम न हों, तो उनकी आक्रामकता बढ़ सकती है। सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।