दोनों पक्षों की ओर से कुल 34 याचिकाएं आई हैं। पहले दिन की सुनवाई के बाद अगले हफ्ते फिर से इसे जारी रखने की सूचना दी गई है। दोनों पक्षों के वकील संबंधित याचिकाओं को अलग-अलग डील कर रहे हैं।
Maharashtra Shiv Sena MLAs disqualification: महाराष्ट्र का राजनीतिक पारा नीचे आने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुटों द्वारा एक दूसरे खेमों के विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर विधानसभा में सुनवाई शुरू हुई। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सुनवाई शुरू की। दोनों पक्षों की ओर से कुल 34 याचिकाएं आई हैं। पहले दिन की सुनवाई के बाद अगले हफ्ते फिर से इसे जारी रखने की सूचना दी गई है। दोनों पक्षों के वकील संबंधित याचिकाओं को अलग-अलग डील कर रहे हैं।
विधानसभा में शुरू हुई सुनवाई
विधायकों की अयोग्यता वाली याचिकाओं पर सुनवाई दक्षिण मुंबई स्थित राज्य विधानमंडल कैंपस में शुरू हुई। सुबह साढ़े दस बजे से दोपहर दो बजे तक सुनवाई हुई। स्पीकर राहुल नार्वेकर ने दोनों पक्षों की याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान प्रतिनिधित्व संबंधित वकील ने किया।
एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप
उधर, शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के वकील अनिल साखरे ने कहा कि उनकी टीम को विपरीत पक्ष से प्रासंगिक दस्तावेज नहीं मिले हैं। जबकि उद्धव ठाकरे गुट के विधायक रवींद्र वायकर ने कहा कि शिंदे समूह का दावा (दस्तावेज नहीं मिलने का), शिंदे गुट की देरी की रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि यह अध्यक्ष का काम है कि वे दोनों पक्षों को सभी प्रासंगिक दस्तावेज मुहैया कराएं। उन्होंने कहा कि ठाकरे गुट चाहता है कि सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़कर सुनवाई की जाए। वायकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ठाकरे गुट के सुनील प्रभु द्वारा जारी व्हिप को वैध माना है।
जुलाई में स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे के नेतृत्व वाली सेना के 40 और ठाकरे गुट के 14 विधायकों को नोटिस जारी कर उनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर जवाब मांगा था। सीएम शिंदे और शिव सेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे समेत कुल 54 विधायकों के खिलाफ नोटिस जारी किया गया था। लेकिन पिछले साल शिवसेना के विभाजन के बाद चुनी गई सेना (यूबीटी) विधायक रुतुजा लटके के खिलाफ नोटिस जारी नहीं किया गया था।
शिंदे गुट द्वारा शिवसेना से विद्रोह कर बीजेपी के साथ नई सरकार
अविभाजित शिव सेना के मुख्य सचेतक के रूप में प्रभु पिछले साल शिंदे और अन्य 15 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की थी। अयोग्यता याचिका, जून 2022 में शिंदे गुट द्वारा शिवसेना से विद्रोह कर बीजेपी के साथ नई सरकार बनाने के दौरान दायर की गई थी। हालांकि, उद्धव ठाकरे के पक्ष को सुप्रीम कोर्ट ने सही माना था लेकिन यह भी कहा कि वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार को बहाल नहीं कर सकती क्योंकि बाद में शिंदे के विद्रोह के मद्देनजर फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना इस्तीफा देने का फैसला किया गया। इस वजह से सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 11 मई को एकनाथ शिंदे की महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहने के लिए राहत मिली।
यह भी पढ़ें: