महायुति मंत्रिमंडल: राजनीतिक 'शत्रु' भाई-बहन अब एक ही कैबिनेट में...जानें और भी

महाराष्ट्र महायुति मंत्रिमंडल में मराठवाड़ा से छह नेताओं को शामिल किया गया। पंकजा मुंडे और धनंजय मुंडे कैबिनेट में एक साथ काम करेंगे। अन्य प्रमुख नियुक्तियां और विवादित चेहरों की चर्चा।

छत्रपति संभाजीनगर। महाराष्ट्र की महायुति सरकार के नए मंत्रिमंडल में मराठवाड़ा क्षेत्र से छह नेताओं को शामिल किया गया है। इनमें सबसे चर्चित नाम भाजपा एमएलसी पंकजा मुंडे और उनके चचेरे भाई एनसीपी नेता धनंजय मुंडे का है। दोनों नेता अपनी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के लिए जाने जाते हैं, लेकिन अब उन्हें कैबिनेट में साथ काम करना होगा।

पंकजा और धनंजय मुंडे की प्रतिद्वंद्विता और वर्तमान स्थिति

पंकजा मुंडे और धनंजय मुंडे 2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों में परली सीट से आमने-सामने थे। 2014 में पंकजा ने जीत हासिल की थी, जबकि 2019 में धनंजय ने इस सीट पर कब्जा कर लिया। एनसीपी के महायुति में शामिल होने के बाद पंकजा ने परली सीट का दावा खो दिया। लोकसभा चुनाव हारने के बाद पंकजा को एमएलसी बनाकर पुनर्वासित किया गया। धनंजय मुंडे, जो पहले कृषि मंत्री थे, परली में अपनी पकड़ मजबूत करने में सफल रहे। अब दोनों भाई-बहन महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल हैं। पंकजा ने शपथ ग्रहण के बाद कहा, "मैं गोपीनाथ मुंडे की बेटी हूं। दबाव झेल सकती हूं और जनता के लिए काम करना मेरा एकमात्र उद्देश्य है।"

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अन्य महत्वपूर्ण नियुक्तियां 

मराठवाड़ा से भाजपा की ओर से औरंगाबाद पूर्व से तीन बार के विधायक अतुल सावे को फिर से कैबिनेट में जगह दी गई है। सावे छत्रपति संभाजीनगर के संरक्षक मंत्री बनने की दौड़ में हैं। जिंतूर से दो बार भाजपा विधायक रही मेघना बोर्डिकर को राज्य मंत्री बनाया गया है, जिससे क्षेत्र में महिला मंत्रियों की संख्या बढ़कर दो हो गई है। वहीं, शिवसेना खेमे से औरंगाबाद पश्चिम के चार बार के विधायक संजय शिरसाट को भी मंत्री पद मिला है।

विवादित चेहरे और असमंजसपूर्ण फैसले 

मराठवाड़ा से शिवसेना के अब्दुल सत्तार और तानाजी सावंत को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। सत्तार को विवादों और आरोपों के कारण अपनी ही पार्टी और भाजपा से विरोध झेलना पड़ा। तानाजी सावंत ने महायुति का हिस्सा होते हुए एनसीपी की आलोचना करके विवाद खड़ा किया। एनसीपी ने अहमदपुर से तीन बार के विधायक बाबासाहेब पाटिल को कैबिनेट में जगह दी, लेकिन पूर्व मंत्री संजय बनसोडे के नाम पर विचार नहीं किया गया।

 

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