सार
महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे गुट शिवसेना के मंत्रियों से हलफनामा लिखवाने पर विचार कर रहा है कि वे ढाई साल बाद पद छोड़ेंगे। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के साथ मंत्रियों का प्रदर्शन ऑडिट करने की योजना है। जानें इसके पीछे की क्या वजह है?
मुंबई। महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना एक नया कदम उठाने जा रही है। पार्टी अपने मंत्रियों से हलफनामा लिखवाने पर विचार कर रही है, जिसमें वे ढाई साल बाद पद छोड़ने की सहमति देंगे। यह निर्णय उन असंतुष्ट नेताओं के दबाव को ध्यान में रखकर लिया गया है, जो कैबिनेट में जगह पाने में असफल रहे हैं।
प्रदर्शन आधारित समीक्षा से तय होगा आगे का भविष्य
एकनाथ शिंदे ने घोषणा की है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और सह-उपमुख्यमंत्री अजित पवार के साथ मिलकर मंत्रियों का प्रदर्शन ऑडिट किया जाएगा। जो मंत्री अच्छा प्रदर्शन करेंगे, उन्हें ही पद पर बने रहने दिया जाएगा। शिंदे के करीबी सहयोगी ने खुलासा किया कि शिवसेना विधायकों में सत्ता को लेकर असंतोष बढ़ रहा है। उसी को संतुलित करने के लिए ये कदम उठाया जा रहा है। शिंदे के एक करीबी सहयोगी ने एचटी को बताया कि "शिवसेना विधायकों के पास न तो विचारधारा है और न ही एकनाथ शिंदे के प्रति वफादारी है- उन्हें बस सत्ता चाहिए। हमें सत्ता को समान रूप से वितरित करना होगा।"
विधायक भोंडेकर का इस्तीफा
शिवसेना के उपनेता और पूर्वी विदर्भ जिलों के समन्वयक एवं विधायक नरेंद्र भोंडेकर ने मंत्री न बनाए जाने से नाराज होकर पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। भोंडेकर ने आरोप लगाया कि उन्हें कैबिनेट में जगह देने का वादा किया गया था, जो पूरा नहीं किया गया। उनके साथ धोखा हुआ है, इसलिए वह अपने सभी पदों से इस्तीफा दे रहे हैं।
कैबिनेट विस्तार में संतुलन
महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में हाल ही में हुए विस्तार में 39 विधायकों ने शपथ ली। इसमें भाजपा को 19, शिंदे गुट को 11, और अजित पवार की राकांपा को 9 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है।
पार्टी के लिए चुनौती
शिंदे गुट के लिए यह संतुलन बनाए रखना बड़ी चुनौती बन गया है। पार्टी सत्ता के समान वितरण और प्रदर्शन के आधार पर नए कदम उठा रही है। राजनैतिक लों के साथ-साथ पुलिस और प्रशासन की ओर से इन घटनाओं पर नजर रखी जा रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह कदम महाराष्ट्र की राजनीति को किस दिशा में ले जाता है।
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