
Malegaon Blast 2008 Case Verdict: 29 सितंबर 2008, रमज़ान का महीना, मालेगांव का भीखू चौक—और अचानक एक भीषण विस्फोट से कांप उठता है शहर। 6 निर्दोष लोगों की मौत और 100 से ज्यादा घायल। भय, गुस्सा और दर्द का वो मंजर आज भी कई परिवारों के ज़हन में ज़िंदा है। और अब—17 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जब फैसला आया, तो एक बार फिर से सवालों की आंधी उठी: क्या मालेगांव को न्याय मिला?
मुंबई की एनआईए विशेष अदालत ने सोमवार को मालेगांव ब्लास्ट केस में सभी सात आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में साफ़ कहा, “सिर्फ़ शक के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।” इस फैसले में जिन आरोपियों को राहत मिली, उनमें प्रमुख नाम थे-साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित और पांच अन्य। इन पर आतंकवादी षड्यंत्र रचने, विस्फोटक रखने और आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता जैसे गंभीर आरोप थे। एनआईए की ओर से पेश किए गए 10,800 दस्तावेज़ी सबूत और 323 गवाहों की गवाही कोर्ट में पर्याप्त नहीं मानी गई।
फैसले के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने X (पूर्व ट्विटर) पर एक पंक्ति में बड़ा बयान दिया-"आतंकवाद कभी भगवा नहीं रहा, न ही कभी होगा!" इस एक वाक्य ने राजनीति में फिर उबाल ला दिया है। विपक्ष इसे भगवा आतंकवाद के मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश बता रहा है, जबकि भाजपा समर्थकों के अनुसार यह हिंदू धर्म को कलंकित करने की साजिशों की हार है।
मालेगांव ब्लास्ट केस को लेकर लंबे समय से "भगवा आतंकवाद" की बहस होती रही है। अब जब सभी आरोपी बरी हो चुके हैं, तो इस सवाल ने फिर सिर उठाया है—क्या भगवा आतंकवाद सिर्फ एक नैरेटिव था, या इसके पीछे कोई सच्चाई थी जो सबूतों के अभाव में साबित नहीं हो सकी?
इस फैसले से जहां अभियुक्तों के लिए राहत आई है, वहीं पीड़ित परिवारों का दर्द आज भी ताज़ा है। एक मृतक के भाई ने कहा—“हमने अपने भाई को खोया, कोर्ट ने कहा कि दोषी कोई नहीं... फिर हमें जवाब कौन देगा?”
यह फैसला भारतीय न्यायपालिका के मानकों पर खरा उतरता है या कहीं कुछ छूट गया? क्या यह केस राजनीति की भेंट चढ़ गया? या सचमुच, न्याय ने सिर्फ सबूतों पर भरोसा किया?
मालेगांव विस्फोट केस का कानूनी अध्याय भले ही बंद हो गया हो, लेकिन इसकी परछाइयाँ अब भी गूंज रही हैं। क्या इस फैसले से ‘भगवा आतंकवाद’ की परिभाषा हमेशा के लिए खत्म हो गई, या यह सिर्फ शुरुआत है एक नई बहस की?
मुंबई-पुणे से लेकर पूरे महाराष्ट्र की राजनीति, बिज़नेस गतिविधियाँ, बॉलीवुड अपडेट्स और लोकल घटनाओं पर हर पल की खबरें पढ़ें। राज्य की सबसे विश्वसनीय कवरेज के लिए Maharashtra News in Hindi सेक्शन फॉलो करें — केवल Asianet News Hindi पर।