
Manoj Jarange Hunger Strike End: महाराष्ट्र में लंबे समय से जारी मराठा आरक्षण आंदोलन ने आखिरकार नया मोड़ ले लिया है। मराठा समुदाय के नेता मनोज जरांगे ने अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी है, लेकिन इसके साथ कई सवाल और कानूनी पेच अब भी कायम हैं। राज्य सरकार ने मराठाओं के लिए कुनबी प्रमाण पत्र की प्रक्रिया को आसान बनाने और आंदोलनकारियों की अधिकांश मांगों को स्वीकार करने का ऐलान किया है। हालांकि, सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि सभी मराठाओं को आरक्षण देना संभव नहीं है क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के खिलाफ है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया कि कानूनी रूप से पूरे मराठा समुदाय को आरक्षण देना संभव नहीं है। इसके लिए हर व्यक्ति को कुनबी पृष्ठभूमि का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा। यह निर्णय न सिर्फ राजनीतिक बल्कि कानूनी दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।
राज्य ने हैदराबाद राजपत्र को लागू करने का ऐलान भी किया है, जिसमें मराठवाड़ा के मराठाओं को कुनबी घोषित करने के पुराने अभिलेख हैं। इसके लिए ग्राम स्तर पर समितियां बनाई जाएंगी ताकि प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया सरल हो सके। इसके अलावा सतारा, औंध और पुणे के अभिलेखों पर भी सरकारी आदेश लाने की तैयारी है।
सरकार ने आंदोलनकारियों पर दर्ज सभी मामलों को वापस लेने और मृतकों के परिवारों को मुआवजा एवं सरकारी नौकरी देने का वादा किया है। सरकार ने इस दिशा में 15 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं और शेष भुगतान एक सप्ताह के भीतर किया जाएगा।
जरांगे ने कहा कि अगर सरकार ने वादों को समय पर लागू नहीं किया, तो वे फिर आंदोलन शुरू करेंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री अजित पवार और एकनाथ शिंदे से व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग की, ताकि आंदोलन से उपजी कड़वाहट को खत्म किया जा सके।
यह समझौता महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा मोड़ है। हालांकि, यह सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या यह निर्णय मराठा समुदाय को दीर्घकालिक राहत दिलाएगा या विवाद का नया अध्याय खोलेगा। सरकार के सामने यह चुनौती है कि वह कानूनी प्रक्रिया और सामाजिक न्याय के बीच संतुलन बनाए।
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