
Mumbai Ahmedabad NH48 Traffic: मुंबई-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-48) पिछले पाँच दिनों से यात्रियों के लिए एक दुःस्वप्न बन चुका है। सुबह से शाम तक यात्री घंटों फंसे रहते हैं, और एम्बुलेंस, ऑटो, कारें और बसें लगातार जाम में फंस रही हैं। इस जाम ने सिर्फ लोगों की यात्रा नहीं रोकी, बल्कि पुरानी बुनियादी ढाँचे की समस्याएँ और सड़क मरम्मत की कठिनाइयों को भी उजागर किया।
NH-48 पर यात्रियों का संघर्ष कोई नई बात नहीं है। पिछले सात सालों से मुंबई और अहमदाबाद के बीच यह राजमार्ग यात्री और भारी वाहनों के लिए परेशानी का सबब बनता रहा है। वर्सोवा पुल की मरम्मत और नए पुल निर्माण के कारण दो-तीन साल लगातार जाम की समस्या रही। मानसून के दौरान गड्ढों में पानी भर जाने और बारिश कम होने पर सड़कें उखड़ जाने से यात्रियों की मुश्किलें और बढ़ जाती हैं।
ठाणे के गायमुख घाट पर चल रहे मरम्मत कार्य के चलते मार्ग को भारी वाहनों के लिए तीन दिनों के लिए बंद कर दिया गया। इसके बावजूद, कई भारी वाहन सड़क पर चलते रहे और यातायात जाम और भी लंबा हो गया। यात्रियों ने बताया कि वे पांच से आठ घंटे तक जाम में फंसे रहे, जबकि आपातकालीन वाहनों को निकालना मुश्किल हुआ।
मुंबई, ठाणे और पुणे से होकर गुजरने वाला NH-48 आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण मार्ग है। वसई-विरार के लोग इसे मुंबई जाने का मुख्य मार्ग मानते हैं। रो-रो फेरी सेवा जैसे विकल्प हमेशा व्यस्त रहते हैं, जिससे 100-125 वाहन लंबी कतारों में फँस जाते हैं। बुजुर्ग और ट्रेन पर निर्भर लोग पूरी तरह इस मार्ग पर आश्रित हैं।
यात्रियों की उम्मीदें मुंबई-दिल्ली एक्सप्रेसवे पर टिकी हैं, जो NH-48 के बोझ को कम कर सकता है। लेकिन परियोजना की धीमी प्रगति और लगातार बढ़ते जाम से लोग परेशान हैं। रोज़ाना लगने वाले जाम से ईंधन, समय और पैसे की बर्बादी हो रही है। सड़क किनारे व्यवसाय भी प्रभावित हुए हैं क्योंकि यात्री होटल और दुकानें छोड़कर सीधे अपने गंतव्य की ओर बढ़ते हैं।
लगातार जाम से प्रदूषण बढ़ रहा है, ईंधन की बर्बादी हो रही है और स्थानीय व्यवसायों को भी नुकसान हो रहा है। सड़क किनारे स्थित होटल और दुकानें फंसे यात्रियों के कारण प्रभावित हो रही हैं।
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