मुंबई लोकल की भीड़ पर सरकार की सर्जिकल स्ट्राइक, जानें ऑपरेशन ओवरक्राउड की इनसाइड स्टोरी

Published : Jul 18, 2025, 02:58 PM ISTUpdated : Jul 18, 2025, 02:59 PM IST
Mumbai local train crowding

सार

Mumbai Local Chaos: भीड़, मौतें और अब 'लचीला टाइम' प्लान! मुंबई में हर दिन 79 लाख लोग लोकल से सफर करते हैं, लेकिन 3 साल में 7500+ मौतों ने मचा दी हलचल। अब सरकार ने निकाला नया प्लान—ऑफिस टाइम बदलेगा या जिंदगी? जानिए टास्क फोर्स के अंदर की पूरी कहानी!

How flexible office timing can reduce train crowding in Mumbai: मुंबई उपनगरीय रेल प्रणाली को “City’s Lifeline” कहा जाता है, लेकिन यही लाइफ़लाइन हाल के वर्षों में मौत का कारण भी बन रही है। भीड़‑भाड़ में धक्कामुक्की, चलती ट्रेन से गिरना और प्लेटफ़ॉर्म‑ट्रैक हादसे—इन सबने सिर्फ़ तीन साल में 7,500 से ज़्यादा जानें ले लीं। अब महाराष्ट्र सरकार ने इस संकट को काबू करने के लिए एक बहु‑स्तरीय रणनीति तैयार की है, जिसका केंद्रबिंदु है “लचीला कार्यालय समय”। आइए समझते हैं इस पूरे मिशन के हर पहलू को।

क्यों बना टास्क फोर्स? 

जून 2025 में मुंब्रा-दिवा रेल सेक्शन पर एक ही सुबह 5 यात्रियों की मौत के बाद सरकार हरकत में आई। राज्य सरकार ने लोकल ट्रेन की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स बनाई है, जो कंपनियों के साथ मिलकर लचीले कार्यालय समय (Flexible Office Hours) पर काम कर रही है।

संकट की जड़: क्रश‑ऑवर का आतंक 

सुबह 8‑11 बजे और शाम 5‑8 बजे के बीच पश्चिम, मध्य और हार्बर लाइनों पर यात्रियों का रेला टूट पड़ता है। रोज़ाना औसतन 79 लाख लोग लोकल ट्रेन पकड़ते हैं; कोच के दरवाज़ों पर लटकना या चलती ट्रेन पर चढ़‑उतरना आम दृश्य है। मेट्रो विस्तार के बाद भी भीड़ सिर्फ़ 2‑3 % ही घटी—स्थिति अब असहनीय हो चुकी है।

टास्क फोर्स का ‘लचीला टाइम’ फॉर्मूला 

जून 2025 में मुंब्रा‑दिवा सेक्शन पर एक सुबह पाँच यात्रियों की मौत के बाद सरकार ने विशेष टास्क फोर्स गठित की। इसका लक्ष्य—दफ़्तरों की टाइम‑टेबल को इस तरह बाँटना कि पिक‑ऑवर का दबाव टूट जाए। शुरुआती सिफ़ारिश:

  • पारंपरिक 9‑to‑5 के साथ‑साथ 8‑to‑4 और 10‑to‑6 जैसी वैकल्पिक शिफ़्टें।
  • रिमोट वर्क या हाइब्रिड मॉडल को कंपनियों के CSR क्रेडिट से जोड़ना, ताकि वे स्वेच्छा से ग्रीन सर्टिफ़िकेट हासिल कर सकें।

सरकारी कर्मचारियों के लिए आधे घंटे की राहत 

परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने विधानसभा में घोषणा की कि राज्य विभागों के कर्मचारी अब 30 मिनट देर से दफ़्तर आ सकते हैं। काम के कुल घंटे वही रहेंगे, इसी से पिक‑टाइम में निकलने वाले लगभग 1.2 लाख सरकारी कर्मियों की भीड़ अलग स्लॉट में बँट जाएगी।

निजी कंपनियों के साथ तालमेल 

मध्य रेलवे ने 800+ कॉर्पोरेट्स को पत्र भेजकर शिफ़्ट बदलाव का अनुरोध किया है। पायलट चरण में SEEPZ, BKC और Lower Parel की कंपनियाँ सम्मिलित होंगी। असरकारक साबित हुआ तो पूरे MMR में मॉडल लागू किया जाएगा।

विकल्पों की ओर बढ़ते कदम: पॉड टैक्सी से लेकर जल परिवहन तक

राज्य सरकार भीड़ कम करने के लिए वैकल्पिक परिवहन विकल्पों पर भी ध्यान दे रही है—

  1. पॉड टैक्सी (PRT): BKC में स्वीकृत, जल्द शुरुआत
  2. जल परिवहन: नेरुल-गेटवे रूट सक्रिय
  3. रोपवे प्रोजेक्ट: मीरा-भायंदर और गोराई लिंक

क्या ‘लचीला समय’ दे पाएगा राहत? 

सरकार का मानना है कि अगर सिर्फ 10% यात्रियों का टाइमिंग बदलता है, तो 20% तक भीड़ में गिरावट आ सकती है। यह योजना मुंबई की लाइफलाइन को फिर से सुरक्षित और भरोसेमंद बना सकती है—बशर्ते इसे सख़्ती और समझदारी से लागू किया जाए।

 

 

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