सोमवार को एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने प्रफुल्ल पटेल और सांसद सुनील तटकरे के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए शरद पवार को लेटर लिखा है।
NCP Crisis: महाराष्ट्र में सियासी पारा अपने शबाब पर है। एनसीपी में फूट के बाद अब बयानबाजी और कार्रवाईयों का दौर जारी है। सोमवार को एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने प्रफुल्ल पटेल और सांसद सुनील तटकरे के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए शरद पवार को लेटर लिखा है। पार्टी की अनुशासन समिति ने बगावत करने वाले 9 विधायकों को अयोग्य घोषित करने का प्रस्ताव भी पास किया है।
सुले ने शरद पवार को लिखे लेटर में क्या कहा?
कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने लिखा, "मैं आपको यह सूचित करने के लिए आग्रह कर रही हूं कि राकांपा के दो सांसदों, प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे ने हमारे संविधान, पार्टी के नियमों का उल्लंघन किया है। 9 विधायकों के शपथ समारोह की मेजबानी और नेतृत्व करके पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हुए हैं। ये दल-बदल पार्टी अध्यक्ष की जानकारी या सहमति के बिना इतने गुप्त तरीके से किए गए थे, जो पार्टी छोड़ने के समान है, जो अयोग्यता को आमंत्रित करता है। यही नहीं इससे यह भी स्पष्ट है कि ये सांसद न तो एनसीपी के उद्देश्य या विचारधारा से ताल्लुक रखते हैं न ही पार्टी में अब शामिल हैं। इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।
अनुशासन समिति ने 9 विधायकों को अयोग्य करने का प्रस्ताव किया पास
राकांपा की अनुशासन समिति ने भी उन 9 विधायकों को अयोग्य ठहराने का प्रस्ताव पास कर दिया है जो अजीत पवार के साथ सत्तारूढ़ शिवसेना-बीजेपी गठबंधन की सरकार का समर्थन करते हुए उसमें शामिल हो गए। एनसीपी की अनुशासन समिति ने कहा कि 9 विधायकों की ये हरकतें तत्काल अयोग्यता की श्रेणी में आते हैं। अगर उन्हें सदस्य के रूप में बने रहने की अनुमति दी गई तो इस बात की बहुत वास्तविक संभावना है कि वे पार्टी के हितों को कमजोर करने की कोशिश करते रहेंगे।
1999 में स्थापित एनसीपी को सबसे बड़ा झटका
कांग्रेस से अलग होकर शरद पवार ने 1999 में एनसीपी का गठन किया था। तबसे पवार की पार्टी महाराष्ट्र की राजनीति में प्रासंगिक है। दो दशक पूर्व बनी पार्टी के लिए यह सबसे बड़ा झटका है। अजीत पवार, शरद पवार के भतीजा हैं और पार्टी में नंबर दो की हैसियत में थे। काफी दिनों से नाराज चल रहे अजीत पवार ने रविवार को अचानक 8 विधायकों के साथ बगावत कर बीजेपी-शिवसेना गठबंधन से हाथ मिला लिया। अजीत पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो उनके साथ गए 8 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है।
यह भी पढ़ें:
प्रफुल्ल पटेल: शरद पवार के सबसे करीबी ने भतीजा अजीत पवार के साथ जाना क्यों स्वीकारा?