ये खोज इंसान को समय में पीछे देखने में बनाएगी सक्षम, पता चल सकेगा ब्रह्मांड का रहस्य

जब आप आकाश की तरफ देखते होंगे, तो आपके भी दिमाग में यह प्रश्न कौंधता होगा कि ये अनगिनत तारे और ग्रह कहां से आए। एनसीआरपीसी के वैज्ञानिकों ने ऐसी खोज की है। जिससे आकाश गंगा में युगों से छिपे और दबे सच को जाना जा सकता है। 

Contributor Asianet | Published : Feb 6, 2023 6:34 AM IST

पुणे। नेशनल सेंटर फॉर रेडियोफिजिक्स (एनसीआरपीसी) केंद्र के वैज्ञानिकों ने ऐसी खोज की है। जिससे आकाश गंगा में युगों से छिपे और दबे सच को जाना जा सकता है। जब आप आकाश की तरफ देखते होंगे, तो आपके भी दिमाग में यह प्रश्न कौंधता होगा कि ये अनगिनत तारे और ग्रह कहां से आए। पुणे स्थित एनसीआरपीसी का दावा है कि उनके साइंटिस्ट ने ऐसी खोज की है, जिससे इन सवालों का जवाब हासिल हो सकेगा।

गुजरे हुए समय को देखने में मिल सकती है कामयाबी

यह पढकर आप भी चौंके होंगे। पर एनसीआरपीसी का दावा है कि उनके वैज्ञानिकों को करोड़ो प्रकाश वर्ष दूर मौजूद गैलेक्सी से हाइड्रोजन गैस के उत्सर्जन में, रेडियो सिग्नल का पता चला है। इसका फायदा यह होगा कि अब करोड़ो साल पहले ब्रहमांड में स्थित गैलेक्सी देख सकते हैं। गुजरे हुए समय को भी देखने में कामयाबी हासिल हो सकती है।

तारों की उत्पत्ति का स्रोत जानने में मिलेगी मदद

एनसीआरपीसी के निदेशक यशवंत गुप्ता के मुताबिक, इस खोज से ब्रह्मांड के इतिहास के पुनर्निर्माण में मदद मिलेगी। यह खोज इंसान को सक्षम बनाएगी, जिससे वह समय से पीछे देख सके। इस दावे के अनुसार ब्रहमांड में मौजूद तारों और सितारों का रहस्य जाना जा सकता है। इस खोज से तारों की उत्पत्ति का स्रोत भी जानने में मदद मिलेगी।

इन वैज्ञानिकों को मिली सफलता

रिसर्च के दौरान आकाशगंगा से 21 सेमी. उत्सर्जन के मजबूत लेंसिंग की पुष्टि हुई है। ये निष्कर्ष रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी की मासिक नोटिस में भी प्रकाशित हुए। मैकगिल विश्वविद्यालय भौतिकी विभाग, ट्रॉटियर स्पेस इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता (पोस्ट डॉक्टोरल) अर्नब चक्रवर्ती व एसोसिएट प्रोफेसर आईआईएससी भौतिकी विभाग, निरुपम रॉय ने जीएमआरटी डेटा का उपयोग कर यह सफलता प्राप्त की।

ये है खोज

रिसर्च के अनुसार, आकाशगंगा में रेडशिफ्ट z = 1.29 पर परमाणु हाइड्रोजन से एक रेडियो सिग्नल का पता लगा। चक्रवर्ती के मुताबिक, आकाशगंगा से ज्यादा दूरी की वजह से 21 सेमी उत्सर्जन रेखा, 48 सेमी तक पहुंच गई थी। जब सिग्नल, स्रोत से दूरबीन तक पहुंचा था।

अब हम 8.8 अरब वर्ष पुराने अतीत भी खंगाल सकेंगे

अब तक हुए शोधों के मुताबिक, ब्रह्मांड 4.9 अरब वर्ष पुराना है। पर एनसीआरपीसी की खोज के बाद अब हम 8.8 अरब वर्ष पुराने अतीत भी खंगाल सकेंगे। इससे पता चल सकेगा कि आकाशगंगा में किन कारणों से बदलाव हो पाते हैं। रिसर्च टीम ने गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग के जरिए विशेष आकाशगंगा को टटोला और यह पाया कि उसका परमाणु हाइड्रोजन द्रव्यमान, उसके तारकीय द्रव्यमान से करीबन दोगुना है। ये नतीजे भविष्य में ब्रह्मांडीय विकास की जांच के लिए नई संभावनाओं को भी अवसर देंगे।

हाइड्रोजन का पता लगाना बेहद चुनौतीपूर्ण

यशवंत गुप्ता के मुताबिक, ब्रह्मांड से उत्सर्जन में तटस्थ हाइड्रोजन का पता लगाना चुनौतीपूर्ण है। हम जीएमआरटी के साथ इस नए परिणाम से खुश हैं। एनसीआरए-टीआईएफआर की ओर से जॉइंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप का निर्माण व संचालन संयुक्त रूप से किया जाता है। मैकगिल व आईआईएससी की ओर से इस अनुसंधान को वित्तीय सहायता दी गयी।

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