प्लेस्कूल में मासूमों को लात-थप्पड़ मारती थीं ये दोनों टीचर, सामने आया एक और किस्सा, देखें वीडियो

मुंबई के कांदिवली प्लेस्कूल में बच्चों को टॉर्चर करने वाले मामले में फरार चल रहीं दो लेडी टीचर की दिंडोशी सेशन कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने इसे समाज के खिलाफ एक जघन्य अपराध बताया है। 

मुंबई. मुंबई के कांदिवली प्लेस्कूल में बच्चों को टॉर्चर करने वाले मामले में फरार चल रहीं दो लेडी टीचर की दिंडोशी सेशन कोर्ट ने अग्रिम जमानत(anticipatory bail applications) याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने इसे समाज के खिलाफ एक जघन्य अपराध बताया है। पुलिस ने दावा किया कि टीचर फरार हैं, वहीं बच्चों के माता-पिता ने कांदिवली पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप लगाया है।

प्लेस्कूल में बच्चों का टॉर्चर, जिनल छेड़ा और भक्ति शाह पर आरोप है

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बच्चों की पिटाई का आरोप जिनल छेड़ा और उनकी असिस्टेंट भक्ति शाह पर है। दोनों की उम्र 40 के आसपास है। इन पर आरोप है कि इन्होंने इसी महीने के शुरुआत में कथित तौर पर कांदिवली पश्चिम में राइम्स एंड रंबल्स प्लेस्कूल की क्लास में बच्चों को लात और थप्पड़ मारे। जब यह मामला सामने आया कि तब उनके माता-पिता ने पुलिस से संपर्क किया। अदालत ने शनिवार (15 अप्रैल) को मौखिक रूप से आदेश सुनाया, जबकि लिखित फैसला 17 अप्रैल को जारी किया गया था।

बच्चों के पैरेंट्स ने कहा कि दिंडोशी कोर्ट ने 16 अप्रैल को उनकी जमानत याचिकाएं खारिज करने के बाद पुलिस से उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कहा था, लेकिन पुलिस ने कहा कि उन्हें आदेश नहीं मिला है। जब सोमवार को अदालत की वेबसाइट पर आदेश अपलोड किए जाने के बाद आदेश की एक प्रति के साथ फिर से उनसे संपर्क किया गया, लेकिन पुलिस ने तर्क दिया कि उन्हें डिप्टी पुलिस कमिश्नर के हस्ताक्षर की आवश्यकता है।

कांदिवली पुलिस के सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा-“हमारी टीम 18 अप्रैल को उनके घर गई थी, लेकिन वे नहीं मिले। टीचर फरार हैं। हमारी जांच चल रही है।”

जबकि पैरेंट्स का आरोप है कि पुलिस ने तुरंत कार्रवाई न कर शिक्षकों को भागने का मौका दे दिया। पैरेंट्स ने कहा कि-"पुलिस 18 अप्रैल को उनके घर गई, लेकिन दरवाजे बंद थे। पुलिस उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है? क्या हमारे बच्चे न्याय के लायक नहीं हैं?"

बता दें कि शिक्षकों पर किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम की धारा 75 और 23 (किशोर या बच्चे के प्रति क्रूरता की सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस मामले के कई वीडियो वायरल हो गए थे।

जबकि कोर्ट में गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग करते हुए शिक्षकों ने दावा किया कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है। उनके वकील ने हिरासत में पूछताछ के खिलाफ तर्क दिया। जबकि आवेदकों का कहना है कि यह अपराध गंभीर प्रकृति का है और क्रूर व्यवहार के कारण बच्चे गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं।

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