राहुल गांधी पर बोले मोहन भागवत- विदेश में भारत को नीचा दिखाने वाला देश का दुश्मन, इस्लाम पर दिया यह बयान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने नाम लिए बिना राहुल गांधी को लेकर कहा कि विदेश में भारत को नीचा दिखाने वाला देश का दुश्मन है।

Vivek Kumar | Published : Jun 2, 2023 2:11 AM IST / Updated: Jun 02 2023, 07:51 AM IST

नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने गुरुवार को नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग, तृतीय वर्ष (सामान्य) 2023 के समापन समारोह में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर जमकर हमला बोला। उन्होंने नाम लिए बिना राहुल गांधी को देश का दुश्मन बताया।

राहुल गांधी इन दिनों अमेरिका की यात्रा पर हैं। इस दौरान वह केंद्र सरकार और भाजपा के खिलाफ बयान दे रहे हैं। बता रहे हैं कि भारत में विपक्ष की सुनवाई नहीं हो रही है। संस्थानों पर कब्जा किया गया है। इसको लेकर मोहन भागवत ने जवाब दिया है।

विदेश में भारत को नीचा दिखाने वाला देश का दुश्मन

मोहन भागवत ने कहा, "अपने देश की एकता-अखंडता को कायम रखना, ये हम सबका प्रयास होना चाहिए। उसमें कोई कमी है तो सबको मिलकर ठीक करना चाहिए। केवल दोषारोपण से काम नहीं चलने वाला है, लेकिन ऐसा होता हुआ दिखाई देता है। देश के बाहर भारत को नीचा दिखाने वाला शत्रु है। अपने स्वार्थ के लिए भारत को दबाए रखने और लोग आपस में लड़ते-झगड़ते रहें, ऐसा चाहने वाले लोग हैं।"

अपने कार्यक्षेत्र में इस्लाम सिकुर गया: मोहन भागवत

मोहन भागवत ने इस्लाम को लेकर कहा, "पूरी दुनिया में इस्लाम का आक्रमण हुआ। स्पेन से मंगोलिया तक छा गया। धीरे-धीरे वहां के लोग जागे, उन्होंने आक्रमणकारियों को हराया। अपने कार्यक्षेत्र में इस्लाम सिकुर गया। सबने सब बदल दिया।"

भारत में इस्लाम को लेकर भागवत ने कहा, "विदेशी तो यहां से चले गए, लेकिन इस्लाम की पूजा कहां सुरक्षित चलती है। यहीं सुरक्षित चलती है। कितने दिन हुए। इसे न पहचानते हुए, आपस के भेदों को बरकरार रखने वाली नीति चलाना। ऐसा करेंगे तो कैसा होगा। इसलिए इसे समझना चाहिए। ये समझदारी पक्की होती तो हम अलग दिखते हैं इसलिए अलग हैं। इस विचार से देश नहीं टूटता। ये मातृभूमि हमारी है। ये भूलकर हमारी पूजाएं अलग-अलग हैं। दो-चार विदेशी भी हैं। फिर भी एक समाज के नाते हम इस देश के हैं। हमारे पूर्वज इस देश के पूर्वज हैं। इस वास्तविकता को क्यों हम स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं?

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