शरद पवार ने प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे NCP से निष्कासित, अजीत गुट ने की नई कार्यकारिणी घोषित-सांसद सुनील तटकरे को बनाया प्रदेश अध्यक्ष

काफी दिनों से नाराज चल रहे अजीत पवार ने रविवार को अचानक 8 विधायकों के साथ बगावत कर बीजेपी-शिवसेना गठबंधन से हाथ मिला लिया। अजीत पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो उनके साथ गए 8 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है।

NCP Vs NCP: महाराष्ट्र में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। एनसीपी की फूट के बाद अब दोनों गुट खुद को असली साबित करने में जुटे हुए हैं। शरद पवार ने बागी सांसद प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। उधर, अजीत पवार गुट ने खुद को असली एनसीपी बताते हुए नई टीम का ऐलान किया है। सांसद सुनील तटकरे को नया प्रदेश अध्यक्ष तो अनिल पाटिल को चीफ व्हिप बनाया गया है। हालांकि, अजीत पवार गुट से जब यह पूछा गया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर किसे नामित किया गया है तो पवार ने कहा कि क्या आप भूल गए हैं कि शरद पवार इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि जयंत पाटिल को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी से हटाकर सुनील तटकरे को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। जबकि अनिल पाटिल को चीफ व्हिप की जिम्मेदारी दी गई है। एनसीपी विधायक दल के नेता एवं उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि हमने स्पीकर को लेटर देकर जयंत पाटिल और जितेंद्र अवहाड को अयोग्य घोषित करने की मांग की है।

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सुप्रिया सुले के लेटर पर शरद पवार ने प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को निकाला

उधर, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार ने कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले के लेटर पर सांसद प्रफुल्ल पटेल और सांसद सुनील तटकरे को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने पर निष्कासित कर दिया है। साथ ही अनुशासन समिति ने सर्वसम्मति से अजीत पवार समेत 9 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने का प्रस्ताव पास किया है। शरद पवार को लेटर में कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने लिखा, "मैं आपको यह सूचित करने के लिए आग्रह कर रही हूं कि राकांपा के दो सांसदों, प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे ने हमारे संविधान, पार्टी के नियमों का उल्लंघन किया है। 9 विधायकों के शपथ समारोह की मेजबानी और नेतृत्व करके पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हुए हैं। ये दल-बदल पार्टी अध्यक्ष की जानकारी या सहमति के बिना इतने गुप्त तरीके से किए गए थे, जो पार्टी छोड़ने के समान है, जो अयोग्यता को आमंत्रित करता है। यही नहीं इससे यह भी स्पष्ट है कि ये सांसद न तो एनसीपी के उद्देश्य या विचारधारा से ताल्लुक रखते हैं न ही पार्टी में अब शामिल हैं। इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए। पढ़िए पूरी खबर…

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